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मोकामा में कार्तिक का पवित्र पाठ : आस्था, शांति और सद्भाव की अनमोल परंपरा

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मोकामा में कार्तिक का पवित्र पाठ : आस्था, शांति और सद्भाव की अनमोल परंपरा

कार्तिक मास का विशेष महत्व हिंदू धर्म में अनेक पर्वों, उत्सवों और धार्मिक परंपराओं के कारण है। इस पवित्र महीने में मोकामा के प्रमुख मंदिर जैसे सूर्य नारायण मंदिर, श्री महावीर स्थान (मोलदियार टोला) और तापसी स्थान मंदिर में एक अद्वितीय धार्मिक परंपरा का निर्वहन होता है। पूरे एक महीने तक यहां अखंड रामायण पाठ का आयोजन किया जाता है, जो किसी भी रुकावट के बिना निरंतर चलता है। यह पवित्र पाठ वर्षों से चली आ रही परंपरा का हिस्सा है, और इसे पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ निभाया जाता है।  मोकामा के लोग इस रामायण पाठ का विशेष महत्व मानते हैं। कार्तिक के इस पवित्र महीने में रामायण की श्लोक और चौपाइयों की मधुर ध्वनि मोकामा के हर घर तक पहुंचती है। इसके श्रवण मात्र से ही लोगों का मन पवित्र, शांत और आनंदित हो उठता है। ऐसा प्रतीत होता है कि स्वयं भगवान इस महीने में धरती पर अवतरित हो गए हों और अपने भक्तों के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद दे रहे हों। इस धार्मिक अनुष्ठान में सभी लोग अपनी आस्था, प्रेम और श्रद्धा से हिस्सा लेते हैं, और अपना समय निकालकर बारी-बारी दिन-रात इस पवित्र रामायण पाठ को आगे बढ़ाते हैं।

मोकामा में रामायण पाठ में शामिल होने वाले लोगों का उत्साह अद्भुत होता है। बच्चे, युवा, महिलाएं और वृद्धजन सभी इसे पूरी निष्ठा से निभाते हैं। सभी पीढ़ियां एकजुट होकर अपने अपने हिस्से का पाठ करती हैं, मानो हर व्यक्ति इस परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो। इस माहौल में ऐसा प्रतीत होता है कि सभी के बीच एक गहरी आत्मीयता और भाईचारे का भाव व्याप्त हो। कार्तिक माह में रामायण पाठ का आयोजन न केवल धार्मिक आस्था को संजोए रखने का एक साधन है, बल्कि यह समाज में शांति, प्रेम और एकजुटता की भावना को भी मजबूत करता है।  गोविंद सिंह जी का मानना है, कि रामायण पाठ जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान केवल मोकामा तक ही सीमित नहीं रहने चाहिए, बल्कि इन्हें हर गांव, हर कस्बे और हर शहर में आयोजित किया जाना चाहिए। इससे न केवल लोगों के मन में शांति और प्रसन्नता का संचार होगा, बल्कि समाज में मानवता, प्रेम और भाईचारे की भावना भी मजबूत होगी। जब लोग इस पवित्र पाठ को सुनते हैं और इसमें हिस्सा लेते हैं, तो उनके मन में एक नया उत्साह और सकारात्मकता उत्पन्न होती है। इस तरह के आयोजन लोगों को आध्यात्मिक रूप से जोड़ते हैं और उन्हें जीवन के मूल्यों की ओर प्रेरित करते हैं।


रामायण पाठ का यह अनुष्ठान केवल एक धार्मिक गतिविधि नहीं है, बल्कि यह समाज के सभी वर्गों के बीच समानता और समरसता का प्रतीक है। जब लोग एकजुट होकर भगवान श्रीराम की कथा सुनते हैं, तो उनकी आत्मा को एक गहरा सुकून मिलता है। यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है और इसकी मिठास समय के साथ और भी अधिक बढ़ती जा रही है। हर व्यक्ति अपनी क्षमता और समय के अनुसार इस आयोजन में सहयोग देता है, और इस प्रकार एक सम्पूर्ण समाज एक-दूसरे के करीब आता है।  कार्तिक मास में मोकामा में आयोजित होने वाला यह अखंड रामायण पाठ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि स्थानीय संस्कृति, परंपरा और समाज के लोगों को आपस में जोड़ने वाला एक उत्सव है। जब यह पाठ प्रारंभ होता है, तो मानो पूरे मोकामा में एक नया जीवन संचारित हो जाता है। मंदिरों में दीपों की जगमगाहट, रामायण की पंक्तियों का मधुर गान, और हर किसी के चेहरे पर श्रद्धा और भक्ति की झलक देखने योग्य होती है। यह वातावरण ऐसा होता है मानो हर व्यक्ति भगवान राम के दिव्य चरित्र और उनकी शिक्षाओं में खो जाता है। यह माहौल मोकामा को मानो स्वर्ग की अनुभूति कराता है।



यह रामायण पाठ न केवल आध्यात्मिकता का संचार करता है, बल्कि यह एक प्रकार का सांस्कृतिक मिलन भी है। मोकामा के लोग इस आयोजन में एक परिवार की तरह भाग लेते हैं, और हर कोई अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाता है। इस आयोजन के दौरान लोगों में भाईचारे और सामंजस्य का जो माहौल बनता है, वह समाज में एकता और सद्भाव का संदेश देता है। इस रामायण पाठ के आयोजन में लोग अपनी-अपनी भूमिका निभाते हैं—कोई पाठ करता है, कोई व्यवस्थाओं में मदद करता है, तो कोई अन्य कार्यों में योगदान देता है। एक महीना चलता यह अखंड पाठ मोकामा के हर कोने में अपनी पवित्र ध्वनि का प्रसार करता है। इसकी ध्वनि से ऐसा प्रतीत होता है कि संपूर्ण मोकामा भगवान की कृपा में नहाया हुआ है। इस ध्वनि से लोग केवल आत्मिक शांति ही नहीं पाते, बल्कि उन्हें अपने दैनिक जीवन में भी सकारात्मकता और धैर्य का संचार महसूस होता है। यह आयोजन लोगों के मन में स्थायी रूप से भगवान राम के आदर्शों का बीज बोता है, जो उन्हें जीवन में हर परिस्थिति में सद्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।



इस रामायण पाठ का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसके कारण लोगों में सेवा और सहयोग की भावना का विकास होता है। लोग अपने समय और संसाधनों का योगदान देते हैं ताकि इस आयोजन को सफलतापूर्वक संपन्न किया जा सके। यह सहयोग की भावना किसी एक व्यक्ति या परिवार तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह पूरे समाज में व्याप्त होती है। यह आयोजन एक ऐसा अवसर है, जो मोकामा के लोगों को उनके व्यस्त जीवन से कुछ समय निकालकर आध्यात्मिकता और समाज सेवा की ओर प्रेरित करता है। अतः इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों से समाज में एक गहरा सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह हमारे पारंपरिक मूल्यों को न केवल जीवित रखते हैं, बल्कि नई पीढ़ी को भी इनसे जुड़ने और उन्हें अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं। हर गांव और शहर में इस प्रकार के आयोजन किए जाएं, तो समाज में शांति, प्रेम और एकता का माहौल सदा बना रहेगा। रामायण पाठ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर है, जिसे संजोना हम सबका कर्तव्य है। इस प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान समाज में प्रेम और शांति को स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम होते हैं। यह हमारे समाज में छुपी अच्छाइयों को बाहर लाते हैं और लोगों को एक नई दिशा दिखाते हैं। मुझे पूरी आशा है कि इस परंपरा का विस्तार होगा, और अन्य स्थानों पर भी ऐसे अनुष्ठानों का आयोजन किया जाएगा, ताकि हर व्यक्ति इस पवित्र अनुभव से लाभान्वित हो सके। यह महत्वपूर्ण जानकारी मोकामा (पटना) से गोविंद सिंह ने दी हैं।

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