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ट्रांस हिंडन में बिजलीघरों की कमी से बिजली संकट गहराया: निर्माण कार्य में देरी से लोग परेशान

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ट्रांस हिंडन में बिजलीघरों की कमी से बिजली संकट गहराया: निर्माण कार्य में देरी से लोग परेशान

पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PVVNL) ने ट्रांस हिंडन क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति बेहतर बनाने के लिए 10 नए बिजलीघरों के निर्माण की योजना बनाई थी, जिससे इस क्षेत्र में हो रही भारी बिजली कटौती और लो-वोल्टेज की समस्या का समाधान हो सके। हालांकि, ज़मीन की अनुपलब्धता के चलते ये महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट अब भी अटका हुआ है। 30 सितंबर तक ज़मीन तलाशने का समय दिया गया था, लेकिन अब तक ज़मीन न मिलने के कारण काम शुरू नहीं हो पाया है। इसका सीधा असर ट्रांस हिंडन के निवासियों पर पड़ रहा है, जो हर दिन बिजली कटौती और लो-वोल्टेज जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं।

नए बिजलीघर बनाने की योजना

ट्रांस हिंडन क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति की मौजूदा स्थिति का आंकलन करने के बाद यह पाया गया कि इस क्षेत्र में मौजूद बिजलीघरों की क्षमता जरूरत के मुताबिक नहीं है। इस वजह से यहां बार-बार ओवरलोड, ट्रिपिंग और बिजली कटौती की समस्या सामने आ रही है। इसे ध्यान में रखते हुए, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने 10 नए बिजलीघरों का निर्माण करने का निर्णय लिया था, जिससे बिजली की मांग को पूरा किया जा सके और लोगों को निर्बाध बिजली आपूर्ति मिल सके।

बिजलीघरों की ज़रूरत वाले प्रमुख क्षेत्र

सर्वेक्षण में पाया गया कि वैशाली सेक्टर-एक, यूपीएसआइडीसी महाराजपुर, सूर्यनगर, खोड़ा, नूरनगर, अटौर, इंदिरापुरम के वैभव खंड और साहिबाबाद साइट-चार औद्योगिक क्षेत्र ऐसे प्रमुख क्षेत्र हैं जहां बिजली कटौती, ट्रिपिंग और लो-वोल्टेज की समस्या सबसे अधिक है। यहां लोगों को दिन में कई घंटों तक बिजली कटौती का सामना करना पड़ता है, और जब बिजली आती है, तो लो-वोल्टेज की वजह से उपकरण भी सही तरीके से काम नहीं कर पाते। इन क्षेत्रों में ओवरलोडिंग की समस्या को हल करने के लिए नए बिजलीघरों का निर्माण अत्यावश्यक है, लेकिन ज़मीन की कमी के कारण इस परियोजना पर अभी तक काम शुरू नहीं हो पाया है।

जमीन की तलाश में देरी से परियोजना अटकी

ट्रांस हिंडन क्षेत्र में बिजलीघरों के निर्माण के लिए ज़मीन की तलाश की जा रही है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि संबंधित विभागों के साथ मिलकर जमीन की खोज का काम जारी है, लेकिन अब तक उपयुक्त स्थान नहीं मिल पाया है। जमीन मिलने के बाद ही विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार की जाएगी और निर्माण कार्य शुरू होगा। हालांकि, ज़मीन न मिलने से यह प्रोजेक्ट देरी का शिकार हो रहा है, और इसका खामियाजा यहां के निवासियों को भुगतना पड़ रहा है, जिन्हें गर्मी और अन्य मौसम में घंटों बिजली कटौती का सामना करना पड़ता है।

आरडीएसएस योजना के तहत प्रस्तावित बिजलीघर

आरडीएसएस (रिनोवेशन एंड मॉडर्नाइजेशन) योजना के तहत, नए बिजलीघरों के निर्माण के लिए मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा गया था। इन बिजलीघरों की क्षमता 20-20 एमवीए (मेगावाट एम्पियर) रखी गई है, ताकि बढ़ती बिजली की मांग को पूरा किया जा सके। लेकिन जमीन मिलने में देरी होने से निर्माण कार्य पर असर पड़ रहा है। अगर जमीन जल्द उपलब्ध नहीं होती, तो अगले साल तक भी बिजलीघरों का निर्माण पूरा होना मुश्किल हो सकता है, जिससे बिजली संकट और गहरा जाएगा।

नो ट्रिपिंग ज़ोन में भी कटौती की समस्या

हालांकि ट्रांस हिंडन क्षेत्र को नो ट्रिपिंग जोन में शामिल किया गया है, जिसके तहत 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति की गारंटी दी जाती है, फिर भी इस क्षेत्र में 4 से 6 घंटे की बिजली कटौती आम बात हो गई है। फाल्ट आने की स्थिति में, बिजली आपूर्ति सामान्य होने में पूरे दिन का समय लग जाता है। इसके अलावा, जब कोई फाल्ट आता है, तो संबंधित अधिकारियों की लापरवाही के चलते समय पर इसका समाधान नहीं हो पाता, जिससे यहां के लोग लगातार परेशान होते रहते हैं।

निवासियों की प्रतिक्रिया

ट्रांस हिंडन के निवासियों ने बिजली कटौती और लो-वोल्टेज की समस्या को लेकर कई बार शिकायतें दर्ज कराई हैं। उनका कहना है कि अगर नए बिजलीघर समय पर बन जाते, तो यह समस्या काफी हद तक कम हो सकती थी। एक निवासी, मनमोहन वालिया, ने बताया, "रोजाना अंधाधुंध बिजली कटौती से परेशान हैं। अगर नए बिजलीघरों का निर्माण होता, तो इस समस्या से काफी राहत मिलती।"

इसी तरह, अनिल भारद्वाज नामक एक अन्य उपभोक्ता ने बताया, "आबादी लगातार बढ़ रही है, लेकिन संसाधन पुराने हैं। इसी कारण रोजाना बिजली कटौती से जूझना पड़ता है। शिकायत करने पर भी समाधान नहीं मिलता।"

बिजलीघरों के निर्माण में सुधार की आवश्यकता

ट्रांस हिंडन के विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ती आबादी और बिजली की मांग को ध्यान में रखते हुए बिजलीघरों के निर्माण में तेजी लाने की जरूरत है। इसके लिए संबंधित विभागों और अधिकारियों को मिलकर काम करना होगा, ताकि जमीन की समस्या का जल्द से जल्द समाधान हो सके और नए बिजलीघर बनकर तैयार हो सकें। इससे बिजली कटौती की समस्या से लोगों को राहत मिलेगी और उनकी रोजमर्रा की ज़िंदगी में सुधार होगा।

समस्याओं का समाधान कब तक?

वर्तमान हालात को देखते हुए, ट्रांस हिंडन क्षेत्र में बिजलीघरों का निर्माण कब तक पूरा होगा, यह कहना मुश्किल है। अधिकारियों का कहना है कि जमीन मिलते ही निर्माण कार्य तेजी से शुरू किया जाएगा। लेकिन अगर यही स्थिति बनी रही, तो बिजलीघरों का निर्माण अगले साल मार्च तक भी पूरा होना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में यहां के निवासियों को बिजली कटौती और लो-वोल्टेज की समस्या से जल्द राहत मिलती नजर नहीं आ रही है।

ट्रांस हिंडन क्षेत्र में नए बिजलीघरों के निर्माण की योजना ज़मीन न मिलने के कारण अधर में लटकी हुई है। इससे यहां के लोगों को निर्बाध बिजली आपूर्ति का सपना अधूरा रह गया है। अगर जल्द ही ज़मीन की समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो इस क्षेत्र में बिजली संकट और गहराएगा। पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को इस मुद्दे पर ध्यान देकर आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि बिजलीघरों का निर्माण कार्य समय पर पूरा हो सके और लोगों को बिजली कटौती की समस्या से राहत मिल सके।

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