भारत ने आखिरकार लंबे समय से चली आ रही ट्रेकोमा नामक बीमारी से पूरी तरह निजात पा ली है। नेपाल और म्यांमार के बाद, भारत दक्षिण-पूर्वी एशिया में इस बीमारी को पूरी तरह समाप्त करने वाला तीसरा देश बन गया है। इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत की सराहना की और देश को इसके उन्मूलन के लिए सम्मानित किया है। मंगलवार को WHO ने भारत को इस सफलता के लिए बधाई दी और इसे वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना।
WHO ने न केवल ट्रेकोमा उन्मूलन के लिए भारत, बल्कि भूटान और मालदीव को भी बधाई दी है। इसके अलावा, 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कमी, नवजात शिशु मृत्यु दर और मृत जन्म दर में कमी लाने के लिए इंडोनेशिया, मालदीव, श्रीलंका और थाईलैंड को भी सम्मानित किया गया है। यह भारत के लिए एक और बड़ी उपलब्धि है, जो पहले से ही प्लेग, कुष्ठ रोग और पोलियो जैसी गंभीर बीमारियों से निजात पा चुका है। अब ट्रेकोमा का नाम भी इन बीमारियों में जुड़ चुका है, जिनसे भारत अब पूरी तरह सुरक्षित है।
ट्रेकोमा क्या है?
ट्रेकोमा एक संक्रामक रोग है जो आंखों को प्रभावित करता है। यह क्लैमाइडिया ट्रैकोमेटिस (Chlamydia Trachomatis) नामक जीवाणु के कारण होता है। यह बीमारी आंखों की पलकों की भीतरी सतह को खुरदरा कर देती है, जिसके कारण आंखों में दर्द, जलन, और धुंधलापन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अगर इसका समय पर इलाज न हो तो यह कॉर्निया को क्षति पहुंचाकर अंधेपन का कारण भी बन सकती है। ट्रेकोमा का संक्रमण बार-बार होने पर पलकों के अंदर मुड़ने से पूरी तरह से दिखाई देना बंद हो सकता है।
संक्रमण फैलने के कारण
ट्रेकोमा एक बेहद खतरनाक और संक्रामक रोग है, जो व्यक्ति से व्यक्ति और मक्खियों के माध्यम से फैल सकता है। बच्चों में इस बीमारी का खतरा अधिक होता है। इसके होने के कारणों में गंदगी, भीड़भाड़, स्वच्छ पानी की कमी और सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग शामिल हैं। गंदगी भरी परिस्थितियां और अस्वच्छ जीवनशैली इस संक्रमण को बढ़ावा देते हैं।
ट्रेकोमा की रोकथाम
ट्रेकोमा को रोकने के लिए साफ-सफाई और स्वच्छ पानी की उपलब्धता बेहद जरूरी है। इसके अलावा, इस संक्रमण से बचने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का सही उपयोग करना भी अनिवार्य है। आंखों को समय-समय पर धोना, गंदगी से दूर रहना, और स्वच्छ स्थानों में रहना इससे बचाव के प्रमुख उपाय हैं। WHO और स्वास्थ्य मंत्रालय के सहयोग से भारत में इस बीमारी को रोकने के लिए कई जागरूकता अभियान चलाए गए, जिससे इस बीमारी का उन्मूलन संभव हो सका।
भारत में ट्रेकोमा का उन्मूलन कैसे हुआ?
भारत में इस बीमारी को खत्म करने के लिए कई सालों से निरंतर प्रयास किए जा रहे थे। स्वास्थ्य संगठनों और सरकारी एजेंसियों ने मिलकर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इसके प्रति जागरूकता फैलाने का काम किया। इसके अलावा, विभिन्न एंटीबायोटिक दवाओं का वितरण और स्वच्छता संबंधी नियमों का पालन करवाया गया, जिससे इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सका।
स्वास्थ्य संगठनों ने इस बीमारी के बारे में ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया, जहां गंदगी और स्वच्छता की कमी के कारण ट्रेकोमा का खतरा ज्यादा था। सामुदायिक स्तर पर विशेष रूप से बच्चों और महिलाओं को इस बीमारी के बारे में जानकारी दी गई और उनके उपचार के लिए विशेष चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की गईं। स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में सुधार करने के लिए सरकारी नीतियों का कार्यान्वयन हुआ, जिससे इस बीमारी का प्रभावी ढंग से उन्मूलन संभव हुआ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की सराहना
WHO ने भारत के इस महत्वपूर्ण कदम की प्रशंसा की और कहा कि यह न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता है। ट्रेकोमा जैसी बीमारी का उन्मूलन उन देशों के लिए एक प्रेरणा है, जो अभी भी इस बीमारी से जूझ रहे हैं। भारत के इस कदम से अन्य विकासशील देशों को भी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने और बीमारियों के उन्मूलन के लिए प्रेरित किया जाएगा।
अन्य बीमारियों का उन्मूलन
भारत में पहले भी कई गंभीर बीमारियों का उन्मूलन हो चुका है। प्लेग, कुष्ठ रोग, और पोलियो जैसी बीमारियों से निपटने में भारत ने सफलतापूर्वक अपनी क्षमता साबित की है। अब ट्रेकोमा के उन्मूलन के साथ भारत ने स्वास्थ्य सेवाओं में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
आगे की चुनौतियां
हालांकि ट्रेकोमा का उन्मूलन भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन देश में अन्य संक्रामक बीमारियों से निपटने के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। स्वच्छता, स्वच्छ पेयजल, और जागरूकता अभियानों की मदद से भारत इन चुनौतियों से भी निपटने में सक्षम हो सकता है।
ट्रेकोमा के उन्मूलन ने भारत को वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है। WHO की सराहना के साथ, यह सफलता भारतीय स्वास्थ्य सेवाओं के निरंतर सुधार की ओर एक और कदम है। अब भारत न केवल ट्रेकोमा बल्कि अन्य गंभीर बीमारियों से भी लड़ने के लिए तैयार है।
इस प्रकार, ट्रेकोमा का उन्मूलन न केवल भारत के स्वास्थ्य के लिए एक सकारात्मक विकास है, बल्कि यह भविष्य में अन्य बीमारियों से निपटने के लिए एक प्रेरणा भी है। भारत की इस उपलब्धि से वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की दिशा में नई राहें खुलेंगी।