लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग में भ्रष्टाचार और लापरवाही के मामलों पर सख्त रुख अपनाते हुए राज्य के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने इटावा जिले में तीन जूनियर इंजीनियर्स (जेई) के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। ऊर्जा मंत्री ने इन तीनों जेई को निलंबित कर दिया है, जिससे विभाग में हलचल मच गई है।
दरअसल, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जिला महामंत्री अरुण कुमार गुप्ता ने बिजली विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और कार्यप्रणाली की शिकायत की थी। अरुण कुमार गुप्ता का आरोप है कि बिजली कनेक्शन लेने के लिए विभाग के अधिकारी परेशान कर रहे हैं और रिश्वत की मांग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बिजली कनेक्शन जैसे बुनियादी सेवा में लापरवाही बरतने से आम जनता को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
भ्रष्टाचार के आरोप और लापरवाही
शिकायत में आरोप लगाया गया कि इटावा जिले में बिजली कनेक्शन देने में काफी लापरवाही बरती जा रही है। उपभोक्ताओं का कहना है कि कई बार आवेदन करने के बावजूद उन्हें समय पर कनेक्शन नहीं मिल रहा है। इसके साथ ही, बिजली कनेक्शन देने के लिए अनावश्यक रूप से पैसे की मांग की जा रही है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि अधिकारी बिना रिश्वत दिए काम करने से इंकार कर देते हैं, जिससे आम नागरिकों को परेशानी होती है।
इस गंभीर शिकायत पर ध्यान देते हुए ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने तुरंत जांच के आदेश दिए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की। मंत्री ने मामले की जांच के बाद पाया कि बिजली विभाग के तीन जेई ने अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन नहीं किया और उपभोक्ताओं को परेशानी में डाल दिया। इसके बाद, उन्होंने तीनों जेई को निलंबित कर दिया।
ऊर्जा मंत्री का सख्त रुख
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने स्पष्ट किया कि बिजली जैसी बुनियादी सुविधा में लापरवाही बिल्कुल भी सहन नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि हर घर तक बिजली पहुंचे और लोग बिना किसी परेशानी के बिजली का लाभ उठा सकें। उन्होंने यह भी कहा कि विभाग में किसी भी तरह की लापरवाही और भ्रष्टाचार को सहन नहीं किया जाएगा और जो अधिकारी अपनी जिम्मेदारी को निभाने में असफल होंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मंत्री ने विभाग के सभी अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे उपभोक्ताओं के प्रति संवेदनशील रहें और उनकी समस्याओं का समाधान जल्दी करें। ऊर्जा मंत्री ने बताया कि इस मामले में दोषी पाए गए तीनों जेई को निलंबित कर दिया गया है, ताकि अन्य अधिकारी भी इससे सबक ले सकें और अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करें।
जनता का विश्वास जीतने का प्रयास
बिजली विभाग की इस कार्रवाई से राज्य सरकार ने एक बार फिर से जनता का विश्वास जीतने का प्रयास किया है। मंत्री एके शर्मा का यह कदम स्पष्ट करता है कि सरकार भ्रष्टाचार को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगी और जनता की सेवा में किसी भी तरह की लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा। इस कदम से न केवल बिजली विभाग में काम करने वाले अधिकारियों में डर का माहौल बनेगा, बल्कि आम जनता को भी यह संदेश मिलेगा कि सरकार उनकी समस्याओं के प्रति गंभीर है।
बिजली विभाग में सुधार की दिशा में कदम
उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग लंबे समय से भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोपों का सामना कर रहा है। ऐसे में सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है। ऊर्जा मंत्री ने इस तरह की शिकायतों को रोकने और विभाग में सुधार करने के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि विभाग में किसी भी प्रकार की लापरवाही और अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी और विभाग के कर्मचारियों को अपने कार्य में पारदर्शिता और ईमानदारी बनाए रखनी होगी।
भविष्य की योजनाएँ और दिशा निर्देश
इस घटना के बाद ऊर्जा मंत्री ने सभी जिलों के बिजली विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्र में उपभोक्ताओं की शिकायतों को प्राथमिकता के आधार पर सुलझाएं और बिजली कनेक्शन देने में किसी प्रकार की देरी न हो। इसके साथ ही उन्होंने भ्रष्टाचार को रोकने के लिए निगरानी बढ़ाने और तकनीकी सुधार करने के निर्देश भी दिए हैं। मंत्री ने कहा कि बिजली विभाग में अब डिजिटल प्रणाली को बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार की गुंजाइश न रहे।
इसके अलावा, उन्होंने बिजली विभाग के अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि उपभोक्ताओं को दी जाने वाली सेवाएँ पारदर्शी हों और कोई भी उपभोक्ता बिना वजह परेशान न हो। मंत्री ने यह भी कहा कि वे समय-समय पर औचक निरीक्षण करेंगे ताकि विभाग में सुधार लाया जा सके और जनता को बेहतर सेवाएँ प्रदान की जा सकें।
विभाग के कर्मचारियों में हड़कंप
ऊर्जा मंत्री की इस कार्रवाई के बाद बिजली विभाग के कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है। सभी अधिकारियों को यह संदेश साफ है कि किसी भी तरह की लापरवाही या भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।