जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनावों के बाद नई सरकार का गठन हुआ, जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) और कांग्रेस ने गठबंधन किया। इस गठबंधन के बाद उमर अब्दुल्ला ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उमर अब्दुल्ला ने श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से पद और गोपनीयता की शपथ ली। इस समारोह में उनके साथ उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी समेत पांच अन्य मंत्रियों ने भी शपथ ली।
10 साल बाद हुए चुनावों में गठबंधन सरकार बनी
जम्मू-कश्मीर में 10 साल के लंबे अंतराल के बाद विधानसभा चुनाव आयोजित हुए। राज्य की 90 विधानसभा सीटों के लिए तीन चरणों में चुनाव संपन्न हुए थे, जिनके परिणाम 8 अक्टूबर को घोषित हुए। चुनावों के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने गठबंधन कर सरकार बनाने का निर्णय लिया। यह गठबंधन जम्मू-कश्मीर में स्थिर सरकार बनाने के साथ-साथ विकास की दिशा में ठोस कदम उठाने का वादा करता है।
उमर अब्दुल्ला की दूसरी पारी
यह उमर अब्दुल्ला की दूसरी पारी है, इससे पहले वे 2009 से 2014 तक कांग्रेस-नेकां गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री रह चुके हैं। शपथ ग्रहण से पहले उमर अब्दुल्ला ने अपने दादा, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की मजार पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उमर अब्दुल्ला ने नई सरकार के गठन के साथ जम्मू-कश्मीर के विकास और शांति को अपनी प्राथमिकता बताया।
शपथ ग्रहण समारोह में दिग्गज नेताओं की मौजूदगी
शपथ ग्रहण समारोह में देश के प्रमुख नेताओं ने हिस्सा लिया। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आप के नेता अरविंद केजरीवाल, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, माकपा के प्रकाश करात, और भाकपा नेता डी. राजा सहित 50 से अधिक राजनेताओं को आमंत्रित किया गया था। इसे विपक्षी गठबंधन आईएनडीआई का एक शक्ति प्रदर्शन भी माना जा रहा है।
सुरिंदर चौधरी बने उपमुख्यमंत्री
सुरिंदर चौधरी को जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। सुरिंदर चौधरी एक प्रमुख राजनीतिक चेहरा हैं और उनके उपमुख्यमंत्री बनने से गठबंधन सरकार को मजबूती मिलेगी। उनके साथ-साथ सकीना इट्टु, सतीश शर्मा, जावेद अहमद डार, और जावेद राणा ने भी मंत्री पद की शपथ ली।
जम्मू-कश्मीर की नई सरकार के सामने चुनौतियाँ
जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के हटने के बाद नई सरकार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना, आतंकवाद से निपटना और युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना सरकार की मुख्य चुनौतियां हैं। उमर अब्दुल्ला और उनकी सरकार के सामने विकास योजनाओं को तेजी से लागू करने की जिम्मेदारी होगी।
विकास योजनाओं की प्राथमिकता
उमर अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद राज्य के विकास को प्राथमिकता देने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि राज्य में रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सुधार किए जाएंगे। राज्य के दूर-दराज के इलाकों में बुनियादी सुविधाओं की कमी को दूर करने के लिए नई सड़कें और पुल बनाए जाएंगे। इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाओं की भी घोषणा की गई है।
युवाओं के लिए विशेष योजनाएं
जम्मू-कश्मीर के युवाओं को शिक्षा और रोजगार के बेहतर अवसर देने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की जा रही है। उमर अब्दुल्ला ने घोषणा की कि राज्य में नए कॉलेज और विश्वविद्यालय खोले जाएंगे और युवाओं के कौशल विकास के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
आतंकवाद से निपटने की रणनीति
राज्य में आतंकवाद की समस्या से निपटने के लिए उमर अब्दुल्ला की सरकार ने सख्त कदम उठाने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि राज्य में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार हर संभव प्रयास करेगी। सरकार की प्राथमिकता आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना और राज्य में कानून-व्यवस्था को बेहतर बनाना होगा।
जम्मू-कश्मीर में बदलाव की उम्मीद
जम्मू-कश्मीर में नई गठबंधन सरकार से राज्य में बड़े बदलाव की उम्मीदें हैं। राज्य की जनता को उम्मीद है कि उमर अब्दुल्ला की नई पारी राज्य के विकास और शांति की दिशा में ठोस कदम उठाएगी। वहीं, इस गठबंधन सरकार के गठन से जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक स्थिरता की एक नई शुरुआत होने की उम्मीद की जा रही है।