राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि जिन सरकारी कर्मचारियों के दो से अधिक बच्चे हैं, उनकी पदोन्नति पर रोक लगाई जाए। यह आदेश जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने दिया है। इस फैसले से राज्य सरकार के उस निर्णय पर अंतरिम रोक लग गई है, जिसमें 2023 में दो से अधिक बच्चों वाले सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति पर लगी रोक हटाने का फैसला किया गया था।
दरअसल, 2023 में तत्कालीन राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया था कि जिन सरकारी कर्मचारियों के दो से अधिक बच्चे हैं, वे भी पदोन्नति के पात्र होंगे। इस निर्णय का उद्देश्य कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें समान अवसर प्रदान करना था। लेकिन, राजस्थान हाईकोर्ट ने अब इस फैसले पर अस्थायी रोक लगाते हुए कहा है कि इस मामले में गहराई से विचार किया जाना चाहिए।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच चुका है। फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने टू-चाइल्ड पॉलिसी पर एक बड़ा फैसला सुनाया था। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि किसी सरकारी कर्मचारी के दो से अधिक बच्चे हैं, तो उसे सरकारी नौकरी से वंचित करना भेदभावपूर्ण नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि दो से अधिक जीवित बच्चे होने पर उम्मीदवार को सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य घोषित करने वाला नियम भेदभावपूर्ण नहीं है।
इससे पहले, राजस्थान में दो से अधिक बच्चों वाले सरकारी कर्मचारियों की नौकरी और पदोन्नति को लेकर कई विवाद उठ चुके हैं। राज्य में लंबे समय से यह नियम लागू है कि यदि किसी सरकारी कर्मचारी के दो से अधिक बच्चे होते हैं, तो उसे सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती या उसकी पदोन्नति नहीं हो सकती। हालांकि, इस नियम के विरोध में कई याचिकाएं भी दायर की गई थीं, जिनमें इसे भेदभावपूर्ण करार दिया गया था।
अब हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद राज्य सरकार और संबंधित विभागों को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है। जब तक इस मामले पर अंतिम फैसला नहीं आ जाता, तब तक जिन कर्मचारियों के दो से अधिक बच्चे हैं, उनकी पदोन्नति प्रक्रिया रुकी रहेगी।