दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ता जा रहा है, जिससे लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) शुक्रवार को 293 के आंकड़े पर पहुंच गया, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है। बढ़ते प्रदूषण के कारण दिल्ली और एनसीआर में धुंध छा गई है और लोगों के लिए बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। वहीं, यमुना नदी में जहरीली झाग की परतें दिखाई दे रही हैं, जो स्थिति को और गंभीर बना रही है।
यमुना में जहरीली झाग का खतरा
दिल्ली के कालिंदी कुंज इलाके में यमुना नदी में जहरीली झाग की मोटी परतें दिखाई दी हैं। यमुना में यह जहरीली झाग लगातार चिंता का विषय बनता जा रहा है, क्योंकि यह पानी के बढ़ते प्रदूषण का संकेत है। नदी में औद्योगिक और घरेलू कचरे का निरंतर प्रवाह झाग का मुख्य कारण माना जा रहा है। यमुना की सफाई के प्रयासों के बावजूद, यह समस्या विकराल होती जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की झाग से नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को भारी नुकसान हो सकता है।
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) का प्रभाव
प्रदूषण के बढ़ते स्तर को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली सरकार ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) को लागू कर रखा है। बीते दिन दिल्ली के कई इलाकों में धूल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पानी का छिड़काव किया गया। यह कदम विशेष रूप से ग्रैप-1 के तहत उठाया गया है, जिसमें निर्माण स्थलों और सड़कों पर धूल से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित किया जाता है।
प्रदूषण की स्थिति और खराब होने की आशंका के चलते ग्रैप-2 को भी लागू करने की योजना है। ग्रैप-2 के तहत निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाने, ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध, और निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन का अधिक इस्तेमाल जैसे कदम उठाए जाएंगे। इन कदमों का मुख्य उद्देश्य दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को कम करना और लोगों को स्वच्छ हवा मुहैया कराना है।
दिल्ली का AQI 300 के पार
राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर इतना अधिक हो गया है कि कई इलाकों में AQI 300 से ऊपर पहुंच चुका है। जिन इलाकों में प्रदूषण सबसे ज्यादा है, वहां के लोगों को बिना मास्क के बाहर निकलने की सख्त सलाह दी जा रही है। खासतौर पर बुजुर्ग, बच्चे, और अस्थमा के मरीजों के लिए यह समय बेहद संवेदनशील है। प्रदूषण का यह स्तर श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है।
13 हॉटस्पॉट्स की निगरानी
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण की स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए आपात बैठक बुलाई है। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में दिल्ली के 13 प्रमुख हॉटस्पॉट्स की निगरानी पर चर्चा हुई। ये हॉटस्पॉट्स वे इलाके हैं, जहां प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा होता है। सरकार इन क्षेत्रों में विशेष कदम उठाने की योजना बना रही है ताकि वहां प्रदूषण को कम किया जा सके।
स्वास्थ्य पर बढ़ते प्रदूषण का असर
बढ़ते प्रदूषण के कारण दिल्लीवासियों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। खासतौर पर बुजुर्गों, बच्चों, और अस्थमा या अन्य सांस की बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए यह स्थिति बेहद खतरनाक है। डॉक्टर्स ने लोगों को सलाह दी है कि वे बिना मास्क लगाए घर से बाहर न निकलें और जितना हो सके, घर के अंदर ही रहें। प्रदूषण के इस स्तर पर बाहर की हवा में श्वसन करने से गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
यमुना की सफाई पर चर्चा
दिल्ली में यमुना नदी की हालत लगातार खराब होती जा रही है। नदी में बढ़ते प्रदूषण के कारण वहां जहरीली झाग का बनना एक गंभीर समस्या बन गया है। सरकार ने यमुना को स्वच्छ बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन अभी तक कोई बड़ा सुधार देखने को नहीं मिला है। यमुना की सफाई के लिए अधिक सख्त नियम लागू करने और नदी में गंदे पानी और औद्योगिक कचरे के प्रवाह को रोकने की दिशा में काम किया जा रहा है।
जनता से अपील
दिल्ली सरकार ने जनता से अपील की है कि वे निजी वाहनों का कम से कम इस्तेमाल करें और सार्वजनिक परिवहन का अधिक से अधिक प्रयोग करें। इसके साथ ही, सरकार ने लोगों से अनुरोध किया है कि वे प्रदूषण कम करने में सहयोग करें और अनावश्यक धूल, कचरे और पराली जलाने जैसी गतिविधियों से बचें।
सरकार की योजनाएं
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। इनमें वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने जैसी पहल शामिल हैं। इसके अलावा, निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के लिए पानी का छिड़काव भी किया जा रहा है। सरकार ने स्कूलों और कॉलेजों को भी इस दिशा में जागरूकता फैलाने का निर्देश दिया है ताकि युवा पीढ़ी को प्रदूषण के खतरों से बचाया जा सके।
दिल्ली में प्रदूषण की समस्या विकराल होती जा रही है। वायु और जल प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ने से न केवल दिल्लीवासियों की सेहत पर असर पड़ रहा है, बल्कि यह समस्या आने वाले समय में और भी गंभीर हो सकती है। सरकार और जनता दोनों को मिलकर इस समस्या से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे ताकि आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण मिल सके।