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Mulayam Singh Yadav Death Anniversary: धरतीपुत्र का संघर्ष और समर्पण, जो आज भी दिलों में जिंदा है

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Mulayam Singh Yadav Death Anniversary: धरतीपुत्र का संघर्ष और समर्पण, जो आज भी दिलों में जिंदा है

10 अक्टूबर 2024 को समाजवादी राजनीति के प्रमुख नेता मुलायम सिंह यादव की दूसरी पुण्यतिथि है। उन्होंने अपने जीवनकाल में भारतीय राजनीति में एक अमिट छाप छोड़ी। उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री रहे मुलायम सिंह यादव का नाम समाजवाद और जनसेवा के प्रतीक के रूप में लिया जाता है। उनका जीवन संघर्ष, समर्पण और सादगी का अद्वितीय उदाहरण रहा है। आज उनकी पुण्यतिथि पर हम उनके जीवन के अनछुए पहलुओं और उनके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्यों को याद करेंगे।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

22 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में एक साधारण किसान परिवार में जन्मे मुलायम सिंह यादव ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में पूरी की। एक गरीब परिवार में जन्मे मुलायम सिंह ने शिक्षा प्राप्त करने के बाद कुछ समय तक मैनपुरी के करहल स्थित जैन इंटर कॉलेज में शिक्षक के रूप में भी कार्य किया। हालांकि, उनका मन हमेशा से समाज और राजनीति की ओर झुका रहा। उनके पांच भाई-बहनों में वह दूसरे स्थान पर थे।

समाजवादी आंदोलन और राजनीतिक सफर की शुरुआत

मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक सफर वर्ष 1954 से शुरू होता है, जब वे महज 15 साल की उम्र में डॉ. राम मनोहर लोहिया के नेतृत्व में चल रहे ‘नहर रेट आंदोलन’ में शामिल हुए। इस आंदोलन के तहत तत्कालीन सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन हुआ और मुलायम को पहली बार जेल भी जाना पड़ा। जेल यात्रा ने उनके राजनीतिक जीवन की दिशा को तय किया। लोहिया और चौधरी चरण सिंह जैसे दिग्गज नेताओं से प्रेरणा पाकर उन्होंने समाजवादी राजनीति की राह चुनी।

पहली बार विधायक और समाजवादी विचारधारा

मुलायम सिंह यादव को 1967 में पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा का टिकट मिला। लोहिया की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत दर्ज कर पहली बार विधानसभा में कदम रखा। यह जीत उनके राजनीतिक सफर का पहला महत्वपूर्ण कदम थी। उन्होंने राजनीति के दांव-पेंचों को बखूबी समझा और धीरे-धीरे समाजवादी विचारधारा को आगे बढ़ाने लगे।

तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री

मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक करियर उत्तर प्रदेश की सत्ता के केंद्र में रहा। वे तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री बने—पहली बार 1989 में, फिर 1993 में और अंत में 2003 में। उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने किसानों, मजदूरों और पिछड़े वर्गों के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की। उनकी छवि एक जननेता के रूप में उभरी, जो जनता के लिए हमेशा उपलब्ध रहते थे। उनके समर्थक उन्हें प्यार से 'धरतीपुत्र' कहते थे, जो उनकी जमीनी राजनीति का प्रतीक था।

भारतीय रक्षा मंत्री के रूप में योगदान

1996 में जब देवगौड़ा सरकार बनी, तो मुलायम सिंह यादव को देश के रक्षा मंत्री का पद मिला। उनके कार्यकाल में भारतीय सेना की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। उन्होंने रक्षा मंत्रालय में सुधारों की दिशा में कई कदम उठाए और सेना के जवानों के कल्याण के लिए विशेष योजनाएं शुरू कीं। उनके रक्षा मंत्री के रूप में कार्यकाल को आज भी सराहा जाता है।

समाजवादी पार्टी की स्थापना और राजनीति में योगदान

1992 में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की स्थापना की। यह पार्टी समाजवाद और जनसेवा के सिद्धांतों पर आधारित थी। समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और मुलायम सिंह यादव ने इसे एक सशक्त राजनीतिक दल के रूप में स्थापित किया। उनके नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ने राज्य के कई विधानसभा और लोकसभा चुनावों में सफलता हासिल की।

विवाद और चुनौतियाँ

मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक जीवन हमेशा विवादों से भी घिरा रहा। खासकर उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान कई विवादास्पद फैसले लिए गए। 1990 में अयोध्या में राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश, उनके राजनीतिक करियर में सबसे बड़ा विवाद बना। इसके बावजूद, मुलायम सिंह यादव ने अपने राजनीतिक जीवन में कभी हार नहीं मानी और अपने सिद्धांतों पर अडिग रहे।

परिवार और राजनीति

मुलायम सिंह यादव का परिवार भी राजनीति में सक्रिय रहा है। उनके बेटे अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेता हैं। परिवार में कई अन्य सदस्य भी राजनीति से जुड़े हुए हैं, जिनमें उनके भाई शिवपाल सिंह यादव और अन्य करीबी रिश्तेदार शामिल हैं। हालांकि, पारिवारिक विवाद और पार्टी में कलह भी उनके राजनीतिक जीवन का हिस्सा रहे हैं।

अंतिम समय और निधन

10 अक्टूबर 2022 को मुलायम सिंह यादव का निधन हुआ। उनकी मृत्यु से भारतीय राजनीति में एक युग का अंत हो गया। उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए देशभर से राजनेता, समर्थक और आम जनता उमड़ी। मुलायम सिंह यादव का जीवन भारतीय राजनीति में संघर्ष, समर्पण और सामाजिक न्याय के प्रति अडिग रहा। उनके निधन के बाद भी उनकी विरासत समाजवादी राजनीति में जीवित है।

मुलायम सिंह यादव के अनसुने किस्से

मुलायम सिंह यादव के जीवन से जुड़े कई अनसुने किस्से हैं, जो उन्हें एक साधारण व्यक्ति से असाधारण नेता के रूप में परिभाषित करते हैं। उदाहरण के लिए, एक बार उन्होंने सैफई में अपने गांव में किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए एक बड़ी रैली आयोजित की थी, जिसमें हजारों किसान शामिल हुए थे।

इसके अलावा, मुलायम सिंह यादव को पहलवानी का भी शौक था। राजनीति में आने से पहले वे एक कुशल पहलवान थे और अपने गांव में कई दंगलों में हिस्सा लेते थे।

मुलायम सिंह यादव की विरासत

मुलायम सिंह यादव की विरासत उनके बेटे अखिलेश यादव ने आगे बढ़ाई। अखिलेश ने समाजवादी पार्टी का नेतृत्व करते हुए उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक मजबूत स्थिति बनाई। आज भी मुलायम सिंह यादव का नाम समाजवादी राजनीति के प्रमुख नेता के रूप में लिया जाता है, जिन्होंने गरीबों, मजदूरों और किसानों के हक के लिए लड़ाई लड़ी।

मुलायम सिंह यादव का जीवन संघर्ष, समर्पण और समाजवादी विचारधारा का प्रतीक था। उन्होंने अपने जीवनकाल में समाजवादी राजनीति को एक नई दिशा दी और उत्तर प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया। उनकी पुण्यतिथि पर, हम उनके द्वारा किए गए महान कार्यों और उनके समाजवादी विचारों को नमन करते हैं। उनकी विरासत हमेशा समाजवादी राजनीति में जीवित रहेगी और वे हमेशा एक महान नेता के रूप में याद किए जाएंगे।

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