2025 में आस्था की डुबकी लगाने आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए योगी सरकार ने संगम तट पर सरकुलेशन क्षेत्र में बढ़ोतरी की योजना बनाई है। इसके लिए सरकार ने 20 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया है, जिससे संगम नोज पर रिवर चैनलाइजेशन और ड्रेजिंग कार्य किया जाएगा। सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग इस परियोजना को अंजाम देने के लिए पूरी तरह तैयार है, और इसके लिए शासन से सैद्धांतिक स्वीकृति भी मिल चुकी है। संगम तट पर कटाव के कारण भूमि में आई कमी को दूर करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है।
कटाव के कारण भूमि में 60% की कमी
संगम तट पर पिछले कुछ वर्षों से गंगा नदी के कटाव के कारण उपलब्ध भूमि में लगभग 60 प्रतिशत की कमी आ गई है। वर्ष 2019 की तुलना में यह कमी देखी गई है, जिससे मेला आयोजन में बाधा उत्पन्न हो रही थी। इस स्थिति को सुधारने के लिए आईआईटी गुवाहाटी के विशेषज्ञों की सलाह पर मेला प्रशासन और सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग ने एक विस्तृत योजना तैयार की है। इस योजना के तहत भूमि का संरक्षण और तटबंधों को मजबूत करने का कार्य होगा, जिससे आगामी मेला आयोजन में श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।
आईआईटी गुवाहाटी के विशेषज्ञों से सलाह
गंगा नदी की स्थिति को लेकर आईआईटी गुवाहाटी के विशेषज्ञों से सलाह ली गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, 2019 से 2024 तक गंगा नदी का दायां किनारा 200 से 500 मीटर तक खिसक चुका है। इसके कारण संगम तट पर उपलब्ध भूमि में भारी कमी आई है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि तटबंधों को मजबूत करने और भूमि के संरक्षण के लिए कुछ तकनीकी उपाय किए जाएं, जिसमें चैनलाइजेशन और ड्रेजिंग शामिल हैं। इन सुझावों के आधार पर सरकार ने योजना को लागू करने का निर्णय लिया है।
ड्रेजिंग से बढ़ेगा सरकुलेशन क्षेत्र
चैनलाइजेशन के तहत ड्रेजिंग का कार्य किया जाएगा, जिसके तहत 150 मीटर से 175 मीटर तक की चौड़ाई में यह कार्य होगा। ड्रेजिंग से निकाली गई मिट्टी का उपयोग तटबंध को मजबूत करने में किया जाएगा। इस कार्य की अनुमानित लागत 6.34 करोड़ रुपए है, जिससे संगम तट पर भूमि को संरक्षित किया जाएगा और श्रद्धालुओं के लिए सरकुलेशन क्षेत्र को बढ़ाया जाएगा।
जियो बैग और जियो ग्रिड का प्रयोग
संगम तट की सुरक्षा को और अधिक मजबूत करने के लिए जियो बैग और जियो ग्रिड का इस्तेमाल किया जाएगा। नदी के दाहिने किनारे पर जियो बैग के माध्यम से बैंक पेवमेंट का कार्य किया जाएगा, साथ ही नायलॉन क्रेट में 1x8 मीटर का लाचिंग एप्रेन भी लगाया जाएगा। तटबंध की मजबूती के लिए जियो ग्रिड का उपयोग होगा, जिसमें 200 एमटी और 100 एमटी प्रति वर्ग मीटर का प्रयोग किया जाएगा। इस कार्य की अनुमानित लागत 10.24 करोड़ रुपए होगी।
नगर विकास विभाग को भेजा गया प्रस्ताव
इस परियोजना के तहत किए जाने वाले सभी कार्यों के प्रस्ताव को नगर विकास विभाग को भेजा गया है। शासन ने सिंचाई विभाग को निर्देश दिए हैं कि सुसंगत प्रस्ताव तैयार कर नगर विकास विभाग को अग्रेतर कार्यवाही के लिए प्रेषित किया जाए। इस परियोजना के तहत संगम तट की सुरक्षा और सुविधाओं में सुधार कर श्रद्धालुओं के लिए बेहतर व्यवस्था की जाएगी।
2025 में मेला आयोजन के लिए तैयारियां जोरों पर
आगामी 2025 में होने वाले कुंभ मेले के लिए संगम तट की तैयारियों को लेकर सरकार ने विशेष जोर दिया है। श्रद्धालुओं की भारी संख्या को देखते हुए भूमि संरक्षण और तटबंधों की मजबूती पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कटाव से हो रही भूमि की कमी को दूर करने और सरकुलेशन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए ड्रेजिंग और चैनलाइजेशन के कार्यों को प्रमुखता दी जा रही है।
संगम तट पर भविष्य के लिए बेहतर सुविधाएं
सरकार की इस पहल से न केवल संगम तट पर भूमि की सुरक्षा होगी, बल्कि भविष्य में होने वाले मेले में श्रद्धालुओं की संख्या के अनुसार पर्याप्त स्थान भी उपलब्ध रहेगा। इस परियोजना के सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद, संगम तट पर बेहतर सुविधाएं और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित किया जा सकेगा।
श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित और सुविधाजनक संगम तट
सरकार की योजना का उद्देश्य श्रद्धालुओं के लिए एक सुरक्षित और सुविधाजनक संगम तट तैयार करना है। तटबंधों की मजबूती और सरकुलेशन क्षेत्र में वृद्धि से मेला आयोजन में किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी, और श्रद्धालु सुगमता से अपने धार्मिक अनुष्ठान कर सकेंगे। सरकार की इस योजना के तहत श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास है, जिससे उन्हें अपने धार्मिक कर्तव्यों का निर्वहन करने में कोई असुविधा न हो।
संगम तट की बढ़ेगी क्षमता
2025 में होने वाले मेले को ध्यान में रखते हुए संगम तट की क्षमता को बढ़ाया जा रहा है। भूमि के संरक्षण और तटबंधों की मजबूती के लिए सरकार ने 20 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया है, जिससे तट की सुरक्षा और श्रद्धालुओं के लिए सुविधा सुनिश्चित की जा सके।
सरकार की इस पहल से संगम तट पर भूमि संरक्षण और तटबंधों की मजबूती सुनिश्चित होगी। श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध होंगी, और आगामी मेले में किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस योजना से संगम तट की सुरक्षा और सरकुलेशन क्षेत्र में वृद्धि कर मेला आयोजन को सुचारू रूप से संपन्न किया जाएगा।