इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने जातीय रैलियों पर रोक के मामले में मुख्य चुनाव आयुक्त, केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार समेत प्रदेश के राजनीतिक दलों कांग्रेस, सपा व बसपा से चार हफ्ते में जवाब मांगा है। इसके साथ ही बेंच ने याचिकाकर्ता को प्रति उत्तर दायर करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है।
दरअसल न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने यह आदेश स्थानीय वकील मोतीलाल यादव की जनहित याचिका पर दिया। याचिका वर्ष 2013 में दायर की गई थी। उसमें कहा गया था कि प्रदेश में सियासी दल ब्राह्मण रैली, क्षत्रिय रैली, वैश्य सम्मेलन आदि नाम देकर अंधाधुंध जातीय रैलियां कर रहे हैं। जो की समाज को बाटने का काम करती है, इसलिए इनपर रोक लगना जरूरी है।
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11 जुलाई, 2013 को कोर्ट ने पूरे प्रदेश में जातियों के आधार पर की जा रही राजनीतिक दलों की रैलियों पर तत्काल रोक लगा दी थी। साथ ही इन पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। आपको बतादें बीते 11 नवंबर को नोटिस के बावजूद पक्षकारों की तरफ से कोई भी कोर्ट के समक्ष पेश नहीं हुआ। इस पर कोर्ट ने नए नोटिस जारी कर मामले को सुनवाई के लिए छह सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
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