उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक की नाराजगी के बाद भी केजीएमयू की बदहाल व्यवस्था में सुधार नहीं आया। बदइंतजामी की कीमत सिद्धार्थनगर की महिला को जान गंवाकर चुकानी पड़ी। महिला मरीज तीन घंटे तक एम्बुलेंस में छटपटाती रही। परेशानहाल भाई बहन की जान बचाने के लिए दौड़ता रहा। उसकी कहीं सुनवाई नहीं हुई। आखिर में महिला की इलाज के अभाव में एम्बुलेंस में ही सांसें थम गईं।
सिद्धार्थनगर निवासी रीमा को रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया था। रीढ़ की हड्डी में टीबी भी थी। परिवारीजनों ने स्थानीय कई अस्पतालों में दिखाया। फायदा नहीं हुआ। बीते सोमवार को मरीज की तबीयत अधिक बिगड़ गई थी। परिवारीजनों ने मरीज को स्थानीय निजी अस्पताल में भर्ती कराया। यहां इलाज के बाद मरीज की तबीयत में सुधार नहीं हुआ। परिवारीजन मरीज को लेकर शुक्रवार को केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। करीब 10 बजे से परिवारीजन मरीज को भर्ती कराने की जद्दोजहद में लगे रहे। लेकिन कामयाबी नहीं मिली। भाई राम किशन का आरोप है कि काफी देर लाइन में लगने के बाद पर्चा बना। फिर डॉक्टरों ने मरीज को एम्बुलेंस से उतारकर लाने को कहा।
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