कोरोना वैक्सीन पर खुशखबरी: जायडस कैडिला के एमडी बोले- देश में 17 करोड़ खुराक बनाने की तैयारी शुरू

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कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच देश में कोरोना वैक्सीन पर बड़ी खुशखबरी सामने आई है। भारत में कोरोना की वैक्सीन विकसित कर रही जायडस कैडिला हेल्थ केयर लिमिटेड ने बड़े पैमाने पर टीके के उत्पादन की तैयारी शुरू कर दी है। संभावित साझेदारों से कंपनी की बातचीत जारी है और कैडिला हेल्थकेयर ने अपनी खुद की प्रोडक्शन कैपिसिटी यानी उत्पादन क्षमता बढ़ाने की कोशिश में जुटी है। कंपनी की तैयारी 17 करोड़ डोज के उत्पादन की है। इसमें से 10 करोड़ खुराक कंपनी खुद तैयार करेगी, जबकि सात करोड़ डोज साझेदार कंपनी से तैयार कराएगी। कंपनी के एमडी शर्विल पटेल ने यह जानकारी दी है। 

ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अहमदाबाद की यह कंपनी कोरोना टीके के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए कॉन्टैक्ट मैन्युफैक्चरर्स ढूंढने की तैयारी कर रही है। कैडिला हेल्थ केयर के मैनेजिंग डायरेक्टर शर्विल पटेल ने कहा है कि वैक्सीन की सात करोड़ खुराक तैयार करने के लिए कंपनी को पार्टनर चाहिए। प्लाजमिड डीएनए वैक्सीन बनाने के लिए करीब 10 करोड़ डोज कंपनी अपने उत्पादन संयंत्र में ही तैयार कर सकती है। 

वैक्सीन के उत्पादन के लिए कैडिला हेल्थ केयर लिमिटेड किन कंपनियों से बातचीत कर रही है और इस वैक्सीन को विकसित करने में कितनी राशि खर्च की है, इस बारे में कंपनी के एमडी ने जानकारी नहीं दी है। उन्होंने कहा है कि कंपनी वैक्सीन के फेज-2 ह्यूमन ट्रायल के आंकड़ों का इंतजार कर रही है। मालूम हो कि देश में आगे चल रही तीन वैक्सीन में भारत बायोटेक की कोवैक्सिन और सीरम इंस्टिट्यूट की कोविशील्ड के साथ यह वैक्सीन भी शामिल है। 

कंपनी के एमडी शर्विल पटेल कहा कि कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड की कोरोना वैक्सीन का इस्तेमाल केवल देश के ही लोग नहीं करना चाह रहे, बल्कि अन्य देशों से भी इसकी मांग हो रही है। उन्होंने कहा कि हम अन्य बाजारों में भी कोरोना वैक्सीन की उपलब्धता और बिक्री के लिए लाइसेंस देने के बारे में सोच रहे हैं। इसलिए हम भारत से बाहर भी कोरोना वैक्सीन के निर्माण की संभावनाएं तलाश रहे हैं। 

बता दें कि रूस और चीन ने अपने जिन टीकों को मंजूरी दी है, उनके तीसरे फेज के ट्रायल अभी चल ही रहे हैं। इस लिहाज से वे टीके अभी पूर्णत: सुरक्षित प्रमाणित नहीं हुए हैं। हालांकि आपातकालीन अप्रूवल के तहत चीन और रूस में उच्च जोखिम वर्ग के लोगों को टीका लगाया जाने लगा है। भारत में रूस की पहली वैक्सीन स्पुतनिक-वी के दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल की अनुमति भारतीय दवा नियामक डीसीजीआई ने रोक दी थी। हालांकि विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के बाद 100 लोगों पर ट्रायल की अनुमति दी गई है।

इधर, भारत में तीन वैक्सीन कामयाबी के करीब है। जायडस कैडिला की वैक्सीन के अलावा आईसीएमआर के सहयोग से विकसित की जा रही भारत बायोटेक की कोवैक्सिन और एस्ट्राजेनेका से करार के तहत सीरम इंस्टिट्यूट द्वारा बनाई जा रही वैक्सीन कोविशील्ड पर देश और दुनिया की निगाह है। देश में तमाम सुरक्षा मानकों का ख्याल रखा जा रहा है और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही एक सुरक्षित और कारगर वैक्सीन उपलब्ध होगी।