WHO की रिपोर्ट- उच्च जोखिम वालों, बुजुर्गों को कोरोना के वैरिएंट से बचाव के लिए हर साल लेनी होगी बूस्टर डोज

कोरोना महामारी के कहर बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पूर्वानुमान लगाया है कि कोविड-19 के प्रति सबसे अधिक जोखिम वाले व्यक्तियों जैसे बुजुर्गों को वायरस के विभिन्न वैरिएंट से बचाव के लिए हर साल वैक्सीन की बूस्टर डोज लेनी होगी। इस अनुमान को एक रिपोर्ट में पेश किया गया जिस पर वैक्सीन को लेकर बने गठजोड़ गावी की बोर्ड बैठक में चर्चा की गई। गावी डब्ल्यूएचओ के कोविड-19 वैक्सीन कार्यक्रम कोवाक्स का सहयोगी है।

मॉडर्ना, फाइजर जैसी कंपनियां पहले से ही कहती आ रही हैं कि इम्यूनिटी का उच्च स्तर बनाए रखने के लिए बूस्टर डोज की जरूरत होगी हालांकि इसे लेकर अभी कोई सुबूत नहीं है। दस्तावेज से पता चलता है कि डब्ल्यूएचओ ने उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों के लिए सालाना बूस्टक को अपना सांकेतिक बेसलाइन परिदृश्य माना है और आम लोगों के लिए हर दो साल में बूस्टर डोज की जरूरत आंकी है।

हालांकि यह नहीं बताया गया कि इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंचा गया, लेकिन बेसलाइन परिदृश्य के तहत नए वैरिएंट सामने आते रहेंगे और इन खतरों से निपटने के लिए वैक्सीन को नियमित रूप से अपडेट किया जाता रहेगा। संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने शुरुआती दस्तावेज पर टिप्पणी से इनकार कर दिया जबकि गवी ने भी तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

आठ जून के दस्तावेज के अनुसार, कार्य चल रहा है और अगले साल तक वैश्विक स्तर पर 12 अरब कोविड-19 वैक्सीन डोज का उत्पादन किया जाएगा। इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फार्मास्युटिकल मैन्यूफैक्चरर्स एंड एसोसिएशन (आईएफपीएमए) द्वारा इस वर्ष के लिए 11 अरब डोज के पूर्वानुमान से थोड़ा अधिक होगा।

बता दें कि कोरोना वायरस अब तक 40 लाख से ज्यादा लोगों की जानें ले चुका है। वहीं कुछ दिन पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि भारत में मिले डेल्टा वैरिएंट पर कोरोना वायरस वैक्सीन कम असरदार पाई जा रही हैं। हालांकि एक राहत की बात यह है कि वैक्सीन से मौत का खतरा कम हो जाता है और गंभीर बीमारी से बचाती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि इसका कारण कई म्यूटेशन में हो रहे बदलावों को माना जा रहा है। यही कारण है वैक्सीन का असर कम हो सकता है। डेल्टा प्लस वैरिएंट भारत में पाए गए डेल्टा वैरिएंट में हुए म्यूटेशन की वजह से बना है। वायरस के हावी होने में सक्षम स्वरूपों को एक जैविक लाभ मिलता है जो है म्यूटेशन, जिसके जरिए ये स्वरूप लोगों के बीच बहुत ही आसानी से फैलते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी वायरस के इस नए स्वरूप को लेकर चिंता जाहिर की है। पूरी दुनिया में अब तक 29 मुल्कों में इस बदले हुए स्वरूप ने सबसे ज्यादा तबाही मचानी शुरू कर दी है। आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कोरोना के बदलते स्वरूप और उसके जीनोम को डिकोड करने के लिए लगातार देश के कई संस्थान दिन-रात शोध कर रहे हैं, अभी तक भारत में उन्हें कोरोना के इस बदले हुए स्वरूप के बारे में कोई भी केस नहीं मिला है। अपने देश में तबाही मचाने वाले डेल्टा वैरिएंट के भी कई स्वरूप सामने आए हैं, लेकिन दक्षिण-अमेरिका में वायरस के बदले स्वरूप लैम्ब्डा को लेकर और ज्यादा सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।

Khushi Sonker

Khushi Sonker covers National, International, and Corona News Sections. She believes that writing a news article is a different form of writing because news articles present information in a specific way. Hence, she tries to convey all the relevant information in a limited word count and give the facts to the audience concisely.

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