बिजनेस

तेल की झार अभी और रुलाएगी जनता को

देश में खाद्य तेलों (cooking oil) की कीमत आसमान छू रही है और हाल-फिलहाल इससे राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। इंडस्ट्री की मानें तो अब तेल की कीमत अगले साल भी इसी स्तर पर बनी रह सकती है। यह 2019 के स्तर से 30 फीसदी अधिक है। हालांकि मार्च, 2022 में सरसों की नई फसल आने के बाद इसकी कीमत में 7 से 8 फीसदी तक गिरावट आ सकती है।

देश में खाद्य तेल की कीमत इस साल 200 रुपये किलो के पार पहुंच गई थी। यही वजह है कि चुनावी राज्य उत्तर प्रदेश की सरकार ने मार्च तक गरीबों को सूर्यमुखी और सोयाबीन का तेल मुफ्त बांटने का फैसला किया है। हालांकि अब भी देश में तेल की कीमत ऊंचे स्तर पर बनी हुई है लेकिन इसमें कुछ कमी आई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोयाबीन, सनफ्लावर और पाम तेलों की कीमत में बढ़ोतरी से भी देश में इनकी कीमत में तेजी आई है। इसकी वजह यह है कि भारत अपनी जरूरत का 70 फीसदी खाद्य तेल आयात करता है।

कीमत में कमी
सरकार ने तेल के आयात पर टैक्स में कटौती की है जिससे रिफाइंड सोयाबीन तेल की होलसेल कीमत में कमी आई है। जुलाई-अगस्त में इसकी थोक कीमत 150 रुपये किलो थी जो अब 125 रुपये रह गई है। इसी तरह आरबीडी पाम की कीमत भी 140 रुपये से घटकर 120 रुपये प्रति किलो रह गई है। इसी तरह सनफ्लावर ऑयल की कीमत 150 रुपये से घटकर 128 रुपये प्रति किलो पर आ गई है। दुनियाभर में 2022 की पहली छमाही में पाम ऑयल का स्टॉक टाइट रहने की आशंका है।

Indian Vegetable Oil Producer’s Association के प्रेजिडेंट सुधाकर देसाई ने कहा कि अंतररराष्ट्रीय स्तर पर कीमतों में तेजी आई है। इसके अलावा किसानों ने बेहतर दाम मिलने की उम्मीद में सोयाबीन की फसल अपने पास रखी है। ऑफ सीजन के कारण सरसों के तेल की इनवेंट्री कम है और इम्पोर्ट के लिए आपके पास कोई विकल्प नहीं है। इन कारणों से तेल की कीमत चढ़ी हुई है। एडिबल ऑयल इंडस्ट्री को उम्मीद है कि फरवरी-मार्च में कीमत में कमी आ सकती है।

2019 के मुकाबले 30 फीसदी महंगा
देसाई ने कहा कि फरवरी के बाद सरसों की नई फसल आने के बाद कीमतों पर भारी दबाव आ सकता है। वैश्विक स्तर पर पाम की कीमत में कमी आने और ब्राजील तथा दक्षिण अमेरिका में सोयाबीन का उत्पादन बढ़ सकता है। इंटरमीडिएरी और कंसल्टिंग कंपनी Sunvin Group के सीईओ संदीप बाजोरिया ने कहा कि मार्च के बाद सोयाबीन, सनफ्लावर और पाम तेल की कीमत में 7-8 रुपये की कमी आने की उम्मीद है। लेकिन इसके बावजूद 2022 में तेल की कीमतें 2019 के मुकाबले 25 से 30 फीसदी अधिक होगी।

बाजोरिया ने कहा कि 2022 में कुकिंग ऑयल की बेस लेवल प्राइस 100 से 105 रुपये किलो से नीचे नहीं जाएगी जो 2019 में 75 रुपये किलो थी। अब सबकी नजरें सरसों की नई फसल पर है। Solvent Extractors’ Association के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बी वी मेहता ने कहा कि पिछले एक हफ्ते में खाद्य तेल की इंटरनेशनल कीमतों में कुछ तेजी आई है। लेकिन देश में सोयाबीन, मूंगफली और सरसों की अच्छी पैदावार होने की संभावना है। सरसों का रकबा 30 फीसदी बढ़ा है। इससे मार्च के बाद तेल की कीमतों में कमी की उम्मीद है।

तो मान के चलिए अभी तेल की कीमत अभी घटने वाली नहीं है और जनता को इसकी मार अभी और झेलनी पड़ेगी।

Aman Yadav

Aman Yadav covers National, International, Business, and Entertainment Sections. he believes that writing a news article is a different form of writing because news articles present information in a specific way. Hence, he tries to convey all the relevant information in a limited word count and give the facts to the audience concisely.

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