उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगने के बाद अब हर किसी की निगाहें आज होने वाले हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हुई हैं। सरकारी मशीनरी से लेकर चुनाव में दावेदारी ठोक चुके लोगों से लेकर आरक्षण के बाद मायूस होने वालों को इस फैसले का बेसब्री से इंतजार है।
अब चुनावी कवायद का ऊंट किस करवट बैठता है यह तो फैसले के बाद ही पता चल सकेगा। दरअसल, आरक्षण की अंतिम सूची जारी होने के बाद आई आपत्तियों का निस्तारण कर जिला प्रशासन को अंतिम सूची जारी करनी थी।
इस बीच लखनऊ हाईकोर्ट ने आधार वर्ष का मुद्दा उठाने वाली एक याचिका पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सीटों के आरक्षण और आवांटन को अंतिम रूप देने की कार्रवाई पर 15 मार्च तक के लिए रोक लगा दी है।
अब सोमवार को सुनवाई होने के बाद कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी। शनिवार और रविवार को राजनीति से जुड़े रहने वाले लोग इस मसले पर चर्चाओं में मशगूल रहे। आरक्षण सूची में मन मुताबिक, सीटों के आने के बाद चुनाव में दावेदारी ठोक चुके लोगों के चेहरों पर उदासी देखी गई। पोस्टर, बैनर छपवाकर प्रचार-प्रसार में लग जाने वाले दावेदार परेशान दिखे।
उन्हें चिंता सताने लगी कि, कहीं आरक्षण में अब फिर हाथ आई उनकी सीट हाथ से तो नहीं निकल जाएगी…। अगर ऐसा हुआ तो सारे ख्वाब अधूरे ही रह जाएंगे, जो सोचा था वह सपना कहीं अधूरा न रह जाए..। ठीक उलट उन लोगों को आस बंधी है, जिनके हाथ से सीट निकल गई थी। वह उम्मीद लगाए बैठे मनौती मना रहे हैं हैं कि शायद कुछ बदलाव हो जाए। सीटों के उलटफेर में मन माफिक सीट होने से चुनावी जंग में उतरने का एक मौका उन्हें भी मिल जाए..।
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