यूपी पंचायत चुनाव 2021 : चुनाव आयोग का बड़ा फैसला, बोर्ड एग्‍जाम के चलते बदले जाएंगे काउंट‍िंग सेंटर, जानिए क्या की है तैयारी

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उत्‍तर प्रदेश में पंचायत चुनाव और बोर्ड एग्‍जाम की तारीखों के टकराव के चलते राज्‍य चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला ल‍िया है. आयोग ने तय क‍िया है क‍ि ब्‍लॉक मुख्‍यालय पर‍िसर ही नहीं बल्‍क‍ि उस व‍िकास खंड स्‍थित क‍िसी ड‍िग्री कॉलेज या अन्‍य सरकार भवन को भी मतगणना केन्‍द्र बनाया जा सकता है.

राज्य निर्वाचन आयुक्त ने की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरि‍ये लखनऊ, अयोध्या, बस्ती, झांसी, आजमगढ़ गोरखपुर वाराणसी और देवीपाटन मंडल के 35 जनपदों की समीक्षा हुई. जनपदों को एक जनपद में एक चरण में चुनाव कराए जाने की तैयारी के निर्देश जारी क‍िए गए. इतना ही नहीं निर्वाचन आयोग ने चुनाव में उपयोग होने वाली सामग्री प्रपत्र की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के भी निर्देश द‍िए हैं और स्ट्रांग रूम तथा मतगणना स्थलों की मतदान केंद्रों की संवेदनशीलता की समीक्षा के आदेश द‍िए हैं.

इस बार मतगणना बोर्ड परीक्षा शुरू होने के बाद होनी है तो राज्‍य चुनाव आयोग ने सभी ज‍िलाधिकार‍ियों को न‍िर्देश दिया है क‍ि अगर कसिी बोर्ड परीक्षा केन्‍द्र में मतगणना स्‍थल बनाया गया है तो उसे बदल द‍िया जाए. उसकी जगह आस पास के क‍िसी अन्‍य कॉलेज में वोट‍िंग सेंटर बनाया जाए जहां परीक्षा केन्‍द्र ना हो.

वहीं पिछले दो महीने से जिस दिन का इंतजार किया जा रहा था वो दिन बस आने ही वाला है. सभी को बेसब्री से इस बात का इंतजार है कि पंचायत चुनावों में सीटों के आरक्षण की सूची कब जारी होगी. सरकार ने सूची जारी करने की तिथि 15 मार्च बतायी है लेकिन आपको बता दें क‍ि बुधवार से छठे दिन आरक्षण की सूची सभी जिलों में आ जाएगी. बहुतुरे जिलों में तो आरक्षण का चार्ट तैयार हो गया है. इसे बस चेक किया जा रहा है जिससे कोई गलती न हो जाये.
पंचायत चुनावों में जिला पंचायत अध्यक्षों के आरक्षण की सूची जारी हो गयी है. बाकी 5 सीटों के लिए आरक्षण की सूची 2 और 3 मार्च को हर जिले में जिलाधिकारी जारी कर देंगे. आरक्षण की ये पहली सूची होगी. ये सही बात है कि फाइनल सूची 15 मार्च को आयेगी लेकिन, बता दें कि पहली सूची और आखिरी सूची में अमूमन कोई बदलाव नहीं होता है.

पंचायती राज निदेशालय में उप निदेशक और चुनाव के नोडल अधिकारी बनाये गये आर एस चौधरी ने न्यूज़ 18 को बताया कि ऐसा नहीं है कि पहली सूची जारी करने में कोई हड़बड़ी होती है. जिलों में शासनादेश के मुताबिक कई बार चेक करके पहली सूची जारी की जाती है. इसमें गलती की कोई संभावना नहीं होती है. इसलिए इस सूची और आखिरी सूची में अमूमन कोई बदलाव नहीं होता है.

सवाल जायज है. आखिर किन वजहों से 13 दिन का अतिरिक्त समय लगाया जा रहा है जबकि सूची में कोई बदलाव नहीं होता है. असल में आरक्षण के लिए जारी शासनादेश में इस बात का प्रावधान है कि जिला प्रशासन के द्वारा आरक्षण की सूची जारी किये जाने के बाद आम जनता से इस पर आपत्तियां मागी जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि यदि किसी को कोई गलती लग रही हो तो उसका समाधान किया जा सके. 3 मार्च को सूची जारी किये जाने के बाद से लेकर 12 मार्च तक लोगों की आपत्तियों का समाधान किया जायेगा. इसीलिए पहली सूची और आखिरी सूची में 12 दिन का गैप हो जा रहा है. इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. सरकार को 24 अप्रैल से पहले ही पंचायत के चुनाव करा लेने हैं. इसके लिए जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं. 15 मार्च को आरक्षण की सूची जारी होने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की डेट एनाउन्स करेगा.