UP में डेंगू-वायरल बुखार की दहशत: मां-बाप के हाथों में दम तोड़ रहे बुखार से तपते बच्चे, लखनऊ में 400 केस, फिरोजाबाद में अब तक 50 की मौत

डेंगू व वायरल बुखार का कहर बढ़ता जा रहा है। बृहस्पतिवार को चार मासूम समेत 14 लोगों की मौत हो गई। इनमें फिरोजाबाद में 11, मैनपुरी दो और मथुरा में एक मरीज शामिल हैं। वहीं, फिरोजाबाद में मृतकों का आंकड़ा 75 पहुंच गया है। उधर डीएम चंद्रविजय सिंह ने लापरवाही बरतने पर पीएचसी सैलई के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. गिरीश श्रीवास्तव, प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. सौरभ प्रकाश और पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. रुचि यादव को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के निर्देश दिए।

मोहल्ला ओझा नगर गली नंबर चार निवासी छह माह की मनु पुत्री मनोज कुमार ने बृहस्पतिवार को दम तोड़ दिया। ओम नगर निवासी हर्ष (9) पुत्र पप्पू कुशवाहा की जयपुर ले जाते समय मौत हो गई। न्यू आंबेडकर नगर की मनीषा (25) पत्नी नीरज की भी आगरा के निजी अस्पताल में मौत हो गई, जबकि बेटी अंजलि जिंदगी से संघर्ष कर रही है। 

आनंद नगर ककरऊ निवासी शुभम (12) पुत्र प्रवेश और हिमांयूपुर पथवारी माता मंदिर वाली गली के मानव (10) पुत्र कुलदीप की भी आगरा में इलाज के दौरान मौत हो गई। वहीं परशुराम कॉलोनी के चंद्रभान के डेढ़ माह के बालक ने दम तोड़ दिया। करबला गली नंबर छह के डेढ़ माह के ऋषभ पुत्र गुड्डू की भी मौत हो ई। 

आजाद नगर के कन्हैयालाल (25) सूबेदार की घर पर मौत हुई। मक्खपुर के नगला मवासी में मुस्कान (12) पुत्री बाबी और नगला अमान की कामना (17) पुत्री धर्मेंद्र की भी मौत हो गई। सरस्वती नगर की नैन्सी (5) ने भी दम तोड़ दिया। 
उधर, मैनपुरी के बिछवां के गांव लेखपुर निवासी अतर सिंह की पत्नी सरला (70) और रठेरा के रामसिंह की पत्नी संजीवन (63)की मौत हो गई। वहीं, मथुरा में कोह निवासी राजा (12) पुत्र हरिश्चंद्र की मौत हो गई। भड़के ग्रामीणों ने सीएमओ का घेराव किया। 

कानपुर में सात दिन में 10 लोगों की मौत
कानपुर में बीमारियां फिर से कहर बरपाने लगी हैं। डेंगू और वायरल फीवर से सात दिन में 10 लोगों की मौत हो गई। इनमें से पांच रोगियों की बीते 24 घंटे में जान गई है। इनमें दो बच्चे शामिल हैं। कल्याणपुर के कुरसौली गांव में बुधवार को बुखार से दूसरी रोगी की भी मौत हो गई। इस गांव में पहले एक किशोरी की बुखार से जान जा चुकी है। 

कानपुर: रोगियों में स्क्रब टाइफस जैसे लक्षण
तेज बुखार के साथ प्लेटलेट्स गिरकर 30 हजार आने और सांस तंत्र फेल होने जैसे लक्षणों को स्वास्थ्य अधिकारी विचित्र बुखार कह रहे हैं। दरअसल यह स्क्रब टाइफस बीमारी है। शहर में इसकी जांच नहीं होती तो इसे नजरअंदाज किया जा रहा है। दिल्ली में कराई गई जांचों में रोगियों में पुष्टि हो चुकी है, लेकिन अभी तक फिजीशियन पहाड़ी इलाकों बीमारी मानकर अनदेखी कर रहे हैं
डेंगू का दूसरा वैरिएंट ज्यादा खतरनाक : जिन लोगों को एक बार डेंगू हो चुका है, उन पर पड़ती है ज्यादा मार
जिन लोगों को एक बार डेंगू हो चुका है उन पर दूसरे वैरिएंट की मार ज्यादा पड़ती है। ऐसे लोगों केडेंगू होने पर उनकी जान बचाना मुश्किल होता है। ऐसे मरीजों के उपचार में  ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ती है। उनके प्लेटलेट्स सहित अन्य पैरामीटर की निगरानी करते हुए दवाएं दी जाती हैं। पिछले दिनों कई ऐसे मरीज मिले हैं, जिनमें इसके दूसरे वैरिएंट का हमला था।

प्रदेश में डेंगू के मरीजों के मिलने का सिलसिला तेज हो गया है। डेंगू और बुखार से फिरोजाबाद, मैनपुरी, मथुरा ही नहीं दूसरे हिस्से में भी मौत हो रही है। मादा एडीज इजिप्सी मच्छर से होने वाली यह बीमारी प्रदेश के विभिन्न हिस्से में तेजी से बढ़ रही है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत  में डेंगू के चार प्रमुख वैरिएंट पाए जाते हैं। डेंगू एक, डेंगू दो, डेंगू तीन और डेंगू चार। डेंगू एक में जहां बुखार के साथ प्लेटलेट्स गिरते हैं वहीं डेंगू दो में रक्तस्श्राव, बुखार और शॉक लग सकता है। डेंगू तीन में शॉक बगैर बुखार और डेंगू चार में शॉक और बगैर शॉक के बुखार हो सकता है।

शोध में  जताई गई है आशंका
इंफेक्सन जेनेटिक्स एंड इवॉल्यूशन नामक पत्रिका में प्रकाशित अनुवांशिषक अध्ययन में भी यह आशंका जताई गई है कि इसके वैरिएंट में हो रहे बदलाव की वजह से यह गंभीर बीमारी हो गई है। इस साल भी डेंगू के नए वैरिएंट की आशंका जताई जा रही है।

जिन्हें ज्यादा पसीना, उसे ज्यादा खतरा
विभिन्न शोध रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि मच्छरों को कार्बन डाई आक्साइड, लैक्टिक एसिड की अधिकता वाले लोग अधिक पसंद हैं। जो लोग ज्यादा कसरत करते हैंअथवा ज्यादा मेहनत करते हैं उनके पसीने में कार्बन डाइआक्साइड और लैक्टिव एसिड की अधिकता होती है। ऐसे लोगों के पसीने की महक से ये मच्छर उनके नजदीक ज्यादा आते हैं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
जिन लोगों को एक बार डेंगू हो चुका है, उन्हें ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। एक बार डेंगू होने पर दो से तीन साल तक उनमें एंटीबॉडी रहती है। लेकिन इस बीच डेंगू के दूसरे वैरिएंट ने हमला किया तो मरीज की जान का जोखिम बढ़ जाता है। पिछले दिनों कई ऐसे मरीज मिले हैं, जिन्हें गंभीरावस्था में भर्ती कराया गया। ऐसे मरीजों के हर पैरामीटर को ध्यान में रखकर इलाज करना पड़ता है।
डाॅ. डी हिमांशु, संक्रामक रोग यूनिट प्रभारी, केजीएमयू

Khushi Sonker

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