अमेरिका ने भारत-चीन सीमा के विवादित क्षेत्रों में पिछले साल चीनी सेना द्वारा की गई घुसपैठ को बहुत गंभीर मामला माना है। अमेरिका की एक इंटेलीजेंस रिपोर्ट में कहा गया है कि सीमा पर टकराव वाले कुछ बिंदुओं से सेनाएं पीछे करने के बावजूद दोनों देशों के बीच भारी तनाव बरकरार है। दशकों बाद दोनों देशों के बीच इस तरह के विस्फोटक हालात बने हैं।
अमेरिका के आफिस आफ डाइरेक्टर आफ नेशनल इंटेलीजेंस की सालाना रिपोर्ट के अनुसार दोनों देशों ने के बीच कई दौर की वार्ताओं के बाद फरवरी के मध्य में कुछ स्थानों से सेनाएं पीछे करने में सफलता हासिल हुई। यह रिपोर्ट विश्वव्यापी खतरों का आकलन करने के लिए हर साल तैयार कराई जाती है। डाइरेक्टर आफ नेशनल इंटेलीजेंस का कार्यालय इंटेलीजेंस समुदाय की निगरानी करता है और खुफिया मामलों में अमेरिकी राष्ट्रपति को सलाह देता है।
इस रिपोर्ट में बीते साल मई माह से भारत-चीन सीमा पर पनपे विवाद और दोनों देशों के बीच 1975 के बाद हुई खूनी झड़प को काफी गंभीर मामला बताया गया है। इस रिपोर्ट में आंतरिक और अंतरदेशीय संघर्षो के कारण अमेरिकी नागरिकों और अमेरिकी हितों को परोक्ष और अपरोक्ष चुनौती मिलने की आशंका जताई गई है। साथ ही कई देशों में सिविल वार और अलगाववाद के कारण हिंसा भड़कने की बात कही गई है।
इस खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि मई 2020 के बाद से चीन के कब्जे वाले सीमावर्ती इलाकों में कब्ज़ा सबसे गंभीर दशकों से जारी है और 1975 के बाद से पहली बार दो देशों की सीमा पर टकराव हुआ। मध्य फरवरी तक कई दौर की वार्तओं के बाद दोनों पक्ष विवादित सीमा के पास कुछ इलाकों से अपनी सेनाएं और उपकरण वापस बुला रहे हैं।
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