उत्तर प्रदेश विधानमंडल बजट सत्र के दूसरे दिन विधानमंडल के दोनों सत्रों में सरकार की ओर से कृषि कानूनों की जोरदार पैरोकारी की गई। विधानसभा में विपक्ष ने कृषि कानूनों का मुद्दा उठाया तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जवाब में तीखा पलटवार किया। किसी विपक्षी दल का नाम लिए बिना बोले कि कृषि कानूनों से किसानों को कोई दिक्कत नहीं है। किसान संगठन तो कई बार समर्थन कर चुके हैं। दिक्कत बिचौलियों को है, क्योंकि अब पैसा सीधे किसानों के खाते में जा रहा है। सीएम योगी ने स्पष्ट कहा कि सहमति-असहमति लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन ऐसा आंदोलन अस्वीकार्य है, जो लोगों की असुविधा का कारण बने और आवागमन को बाधित करे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को सदन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए कृषि कानूनों का फायदा किसानों को मिलेगा। इससे उनकी आय में निरंतर वृद्धि तो होगी ही, साथ ही वे खुशहाल और संपन्न बन सकेंगे। किसान राज्य सरकार की भी प्राथमिकता हैं। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को किसानों की आय दोगुना करने के उद्देश्य से लागू किया गया है। साथ ही इन कानूनों में उन्हें बिचौलियों से बचाने की भी व्यवस्था की गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे आश्चर्य होता है कि समाजवादी पार्टी किस मुंह से किसानों, युवाओं और महिलाओं के बारे में बोलती है। यह लोग तो कभी भी इनकी बात सदन में नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी लोकतंत्र की शक्ति संवाद है। संवाद में सहमति और असहमति भी होगी, लेकिन सहमति तथा असहमति के मध्य समन्वय स्थापित करना ही तो लोकतंत्र का काम है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब देश गणतंत्र दिवस मना रहा था, उस दिन लाल किले पर तिरंगे का अपमान हुआ। देश के संवैधानिक प्रतीकों का असम्मान हुआ। क्या यह किसान आंदोलन की आड़ में देश की छवि को खराब करने की साजिश नहीं है। इसी कारण कोई भी स्वाभिमानी समाज इसको स्वीकार नहीं कर सकता है। जहां तक किसानों के हित की बात है कि उत्तर प्रदेश में एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स ने हजारों हेक्टेयर भूमि को भू-माफियाओं से मुक्त कराया है। विपक्षी दलों की सरकारों के समय जबरन कब्जा की गईं यह अधिकतर जमीनें, किसानों और सार्वजनिक भूमि का हिस्सा थीं। चिंता की बात है कि अन्नदाता किसान नहीं व्यक्त कर रहा है बल्कि किसान को धोखा देकर दलाली करने वाले लोग आज जरूर इस बात को लेकर चिंतित हैं कि धन सीधे किसानों के बैंक खातों में क्यों जा रहा है। उनकी चिंता के पीछे सद्भावना नहीं दुर्भावना है।