यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने NATO की सदस्यता को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि यूक्रेन को मान लेना चाहिए कि वह गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगा। खास बात है कि फरवरी में पड़ोसी मुल्क पर आक्रमण करने वाला रूस नाटो सदस्यता को ही इसका सबसे बड़ा कारण बता रहे हैं। कीव और मास्कों के बीच मंगलवार को बातचीत का दौर फिर शुरू हो गया है।
जेलेंस्की ने संयुक्त अभियान बल (JEF) के नेताओं के साथ बैठक में कहा, ‘यह स्पष्ट है कि यूक्रेन नाटो का सदस्य नहीं है। हम यह समझते हैं। हम पर्याप्त लोग हैं।’ उन्होंने यूक्रेन के नाटो में शामिल होने के प्रयासों पर कहा, ‘सालों से हमने कथित रूप से खुले हुए दरवाजे के बारे में सुना है, लेकिन हमने यह भी सुना है कि हमें प्रवेश नहीं करना चाहिए और यह सच है और हमें इसे मानना चाहिए।’ मुल्क साल 2008 से NATO की सदस्यता का प्रयास कर रहा है।
हालांकि, जेलेंस्की ने यह भी साफ किया कि रूसी आक्रमण के बीच यूक्रेन के सुरक्षित रखने के लिए नाटो के सहयोगियों से रक्षा की गारंटी जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘यूक्रेन में रूस के आक्रमण ने हमारे क्षेत्र में सुरक्षा आधार को खत्म कर दिया।’ यूक्रेन के राष्ट्रपति ने कहा कि जिस तरह नाटो के सहयोगियों की तरह ही यूक्रेन के आसमान की भी रक्षा की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वे समझते हैं कि ऐसे हालात में हमेशा ‘लेकिन’ शामिल होता है।
उन्होंने कहा, ‘मैं आपसे कहता हूं, हमारी मदद कर आप खुद की मदद करें।’ जेलेंस्की ने कहा, ‘आप जानते हैं कि हमें किन हथियारों की जरूरत है। आप जानते हैं कि हमें सुरक्षा के किन उपायों की जरूरत है। आप जानते हैं कि हमें जरूरी तौर पर हवाई जहाज की जरूरत है। आपके प्रयासों के बगैर यह हमारे लिए बहुत मुश्किल होगा। हम आपके आभारी हैं, लेकिन समझें कि हमें और जरूरत है।’
उन्होंने कहा, ‘हमें खुशी है कि हमारे लोगों ने यह समझने लगें हैं और खुद पर और हमारी मदद करने वाले साझेदारों पर निर्भर हैं।’ JEF में डेनमार्क, फिनलैंड, एस्टोनिया, आईलैंड, लात्विया, लिथुआनिया, नीदरलैंड्स, स्वीडन और नॉर्वे शामिल हो सकते हैं।