Tokyo Paralympics 2020 में भारत को तगड़ा झटका, डिस्कस थ्रोअर विनोद कुमार से छीना गया ब्रॉन्ज मेडल

टोक्यो पैरालिंपिक खेलों (Tokyo Paralympics 2020) में डिस्कस थ्रो में विनोद कुमार (Vinod Kumar) ने कांस्य पदक गंवा दिया है. उनकी बीमारी को क्लासिफिकेशन निरीक्षण में ‘अयोग्य’ पाया गया है.आयोजकों ने एक बयान में कहा, ‘पैनल ने पाया कि एनपीसी (राष्ट्रीय पैरालिंपिक समिति) भारत के एथलीट विनोद कुमार को ‘स्पोर्ट क्लास’ आवंटित नहीं कर पाया और खिलाड़ी को ‘क्लासिफिकेशन पूरा नहीं किया’ (सीएनसी) चिन्हित किया गया. एथलीट इसलिए पुरुषों की एफ52 चक्का फेंक स्पर्धा के लिये अयोग्य है और स्पर्धा में उसका नतीजा अमान्य है.’ विनोद कुमार ने पुरुषों की एफ52 चक्का फेंक स्पर्धा में तीसरा स्थान हासिल किया था. लेकिन इसके बाद दूसरे प्रतियोगियों की ओर से उनके इस कैटेगरी में शामिल होने पर सवाल खड़े किए गए थे. इवेंट के बाद नतीजे को होल्ड पर रखा गया था. साथ ही पदक समारोह भी 30 अगस्त की शाम तक स्थगित कर दिया गया था.

बीएसएफ के 41 साल के जवान ने 19.91 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो से तीसरा स्थान हासिल किया था. वह पोलैंड के पियोट्र कोसेविज (20.02 मीटर) और क्रोएशिया के वेलिमीर सैंडोर (19.98 मीटर) के पीछे रहे जिन्होंने क्रमश: स्वर्ण और रजत पदक अपने नाम किए. विनोद कुमार का मेडल जाने से भारत का टोक्यो पैरालिंपिक खेलों में एक मेडल कम हो गया. अब भारत के पास एक गोल्ड, चार सिल्वर और एक कांसा है. वह मेडल टैली में 26वें पायदान पर है.

विनोद ने 2016 के बाद खेलना किया शुरू
विनोद के पिता 1971 भारत-पाक युद्ध में लड़े थे. सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में जुड़ने के बाद ट्रेनिंग करते हुए वह लेह में एक चोटी से गिर गये थे जिससे उनके पैर में चोट लगी थी. इसके कारण वह करीब10 साल तक बिस्तर पर रहे थे और इसी दौरान उनके माता-पिता दोनों का देहांत हो गया था. उनकी स्थिति में 2012 के करीब सुधार हुआ और पैरा खेलों में उनका अभियान 2016 रियो खेलों के बाद शुरू हुआ. उन्होंने रोहतक के भारतीय खेल प्राधिकरण केंद्र में अभ्यास शुरू किया और राष्ट्रीय प्रतियोगिता में दो बार कांस्य पदक जीते. उन्होंने 2019 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया जब उन्होंने पेरिस ग्रां प्री में शिरकत की और फिर इसी साल विश्व चैम्पियनशिप में चौथे स्थान पर रहे.

क्या है एफ52 स्पर्धा
एफ52 स्पर्धा में वो एथलीट हिस्सा लेते हैं जिनकी मांसपेशियों की क्षमता कमजोर होती है और उनके मूवमेंट सीमित होते हैं, हाथों में विकार होता है या पैर की लंबाई में अंतर होता है जिससे खिलाड़ी बैठकर प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेते हैं. रीढ़ की हड्डी में चोट वाले या ऐसे खिलाड़ी जिनका कोई अंग कटा हो, वे भी इसी वर्ग में हिस्सा लेते हैं. पैरा खिलाड़ियों को उनकी शारीरिक कमियों के आधार पर अलग-अलग कैटेगरी में रखा जाता है. क्लासिफिकेशन प्रणाली में उन खिलाड़ियों को प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति मिलती है जिनकी बीमारी या कमी एक सी होती है.

Ekta Singh

Ekta Singh covers Political, Entertainment and Sports News. She believes that it is a writer’s responsibility to make sure that the readers get valuable news and hence it is imperative that the words should be written in a manner that it should be easily understood by all.

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