इनकम टैक्स विभाग के लखनऊ दफ्तर में इनकम टैक्स इंस्पेक्टर के पद पर नौकरी के लिये इंटरव्यू लिए जा रहे थे. इंटरव्यू क्रैक करने वाले अभ्यर्थियों से 10 लाख घूस लेकर नियुक्ति पत्र भी बांटे जा रहे थे. जब इस बात की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को हुई तो पता चला कि यहां तो फर्जीवाड़ा चल रहा था.
दुस्साहसी झांसेबाजों ने आयकर मुख्यालय को ही फर्जी नौकरी देने का अड्डा बना लिया। झांसेबाज मुख्यालय की कैंटीन में ही नौकरी देने का फर्जी इंटरव्यू ले रहे थे। कैंटीन में युवक-युवतियों की भीड़ देखकर आईटी सेल ने पूछताछ की तो पता चला कि सभी आयकर निरीक्षक के पद के लिए इंटरव्यू देने आए हैं। इसके बाद मुख्यालय से फर्जीवाड़े की मास्टर माइंड एक महिला को पकड़ लिया गया। महिला ने आवेदन करने वालों से 10-10 लाख रुपये वसूले थे। इस फर्जीवाड़े में विभाग के दो अधिकारी भी साथ दे रहे थे। हालांकि उनके नामों का अभी खुलासा नहीं हुआ है। महिला के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराकर पुलिस के हवाले कर दिया गया है।
आयकर विभाग के जन संपर्क अधिकारी के मुताबिक मंगलवार को दोपहर बाद कुछ कर्मचारियों ने कैंटीन में फर्जी तरीके से इंटरव्यू होने की सूचना दी। इसके बाद अधिकारियों व कर्मचारियों की मदद से एक महिला को पकड़ा गया। पकड़ी गई महिला का नाम प्रियंका मिश्रा है। उसके पास से फर्जी नियुक्ति पत्र, आयकर विभाग की मुहर व अन्य दस्तावेज बरामद किए गए हैं। पूछताछ में पता चला की महिला 20 दिन से लगातार मुख्यालय परिसर में युवक-युवतियों का इंटरव्यू ले रही थी।
20 दिन से चल रहा था फर्जी नियुक्ति का इंटरव्यू
आयकर विभाग केसूत्रों के मुताबिक पकड़ी गई आरोपी महिला से पूछताछ की गई। तो सामने आया कि वह लगातार पिछले 20 दिनों से मुख्यालय परिसर आती थी। कैफेटेरिया में बैठकर बेरोजगारों का इंटरव्यू लेती थी। इसके बाद उनको नियुक्ति पत्र भी बांटने की बात सामने आई है। लेकिन इसकी भनक विभाग के किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को नही लगी। मंगलवार को उच्चाधिकारियों तक बात पहुंची तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।
विभागीय सूत्र के मुताबिक हाल के दिनों में खेल कोटा में कई पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। इसी भर्ती के लिए गोमतीनगर स्थित कार्यालय से इंटरव्यू लेटर जारी किया गया था। वहां खेल कोटा के अभ्यर्थियों की फिजिकल स्क्रीनिंग हाल में ही खत्म हुई। इसी को आधार बनाकर इस गिरोह ने फर्जीवाड़े का खेल खेलना शुरू कर दिया। जालसाजों ने फ्री-जॉब अलर्ट वेबसाइट पर इसका विज्ञापन दिया। इसके जरिए बेरोजगारों के आवेदन कराया। इसके बाद सभी से अपने गिरोह के सदस्यों के जरिये संपर्क कर दस-दस लाख रुपये वसूले।
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