इन दिनों रामचरित मानस का मुद्दा उत्तर प्रदेश की राजनीति में छाया हुआ है। इसे लेकर सपा और भाजपा की तरफ से लगातार बयानबाजी भी हो रही है। बसपा सुप्रीमों मायावती ने भी इसे लेकर ट्वीट करते हुए सपा को संविधान का अपमान न करें की हिदायत दी थी। इसी बीच सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने शनिवार को एक बार फिर ट्विटर कर सियासी पारा बढ़ा दिया है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने बिना नाम लिए मायावती के ट्वीट पर पलटवार करते हुए कहा की, कदम-कदम पर जातीय अपमान की पीड़ा से व्यथित होकर ही डॉ. अम्बेडकर ने कहा था कि ‘मैं हिंदू धर्म में पैदा हुआ यह मेरे बस में नहीं था, किंतु मैं हिंदू होकर नहीं मरूंगा, ये मेरे बस में है।’ फलस्वरूप सन 1956 में नागपुर दीक्षाभूमि पर 10 लाख लोगों के साथ बौद्ध धर्म स्वीकार किया।
ये शूद्र होने का अपमान नहीं तो क्या?
उन्होंने आगे कहा की, तत्कालीन उपप्रधानमंत्री, बाबू जगजीवन राम द्वारा उद्घाटित संपूर्णानंद मूर्ति का गंगा जल से धोना, तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के रिक्तोपरांत मुख्यमंत्री आवास को गोमूत्र से धोना व राष्ट्रपति कोविंद जी को सीकर ब्रह्मामंदिर में प्रवेश न देना शूद्र होने का अपमान नहीं तो क्या?
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