सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों के लिए लागू वन रैंक वन पेंशन की मौजूदा नीति को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस नीति में कोई संवैधानिक कमी नहीं है. कोर्ट ने यह भी कहा कि नीति में पांच साल में पेंशन की समीक्षा का प्रावधान है. इसलिए सरकार एक जुलाई 2019 की तारीख से पेंशन की समीक्षा करे. कोर्ट ने सरकार को तीन महीने में बकाया राशि का भुगतान करने को कहा है.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ”सरकार का ‘वन रैंक-वन पेंशन’ (ओआरओपी) का फैसला मनमाना नहीं है और किसी संवैधानिक अशक्तता से ग्रस्त नहीं है. कोर्ट ने कहा कि ‘वन रैंक-वन पेंशन’ सरकार का नीतिगत निर्णय है और नीतिगत मामलों के निर्णय में अदालत हस्तक्षेप नहीं करता.
पूर्व सैनिकों की संस्था ने क्या मांग की थी?
दरअसल पूर्व सैनिकों की एक संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि इस नीति से वन रैंक वन पेंशन का मूल उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है. इसकी हर साल समीक्षा होनी चाहिए, लेकिन इसमें पांच साल में समीक्षा का प्रावधान है. अलग-अलग समय पर रिटायर हुए लोगों को अब भी अलग पेंशन मिल रही है.
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