विश्व में जहां संक्रमितों की संख्या 10.67 करोड़ पार हो गई है वहीं मृतक संख्या भी 23.28 लाख से अधिक हो चुकी है। इस बीच, कोरोना वायरस के सबसे घातक रूप से जूझ रहे दक्षिण अफ्रीका ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके के इस्तेमाल पर फिलहाल रोक लगा दी है। वहीं इससे पहले ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि उनका टीका दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन के खिलाफ भी कारगर है।
दक्षिण अफ्रीकी वैज्ञानिकों का कहना है कि अध्ययन में जो नतीजे आए हैं वो हैरान करने वाले हैं। शोध में पता चला है कि टीका लगने के बाद भी वायरस के नए रूप से हल्के और सामान्य लक्षण वाली तकलीफों से बचाव संभव नहीं है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस के पुराने रूप से भी संक्रमितों में ऐसी ही तकलीफ देखने को मिली थी। यही नहीं संक्रमण की चपेट में आने वाले लोगों में बनी प्राकृतिक इम्युनिटी भी बी.1.351 स्ट्रेन से बचाने में कारगर नहीं है। ऐसे में धीरे-धीरे फैल रहे इस घातक स्ट्रेन को लेकर गंभीर रहना होगा।
कोरोना का दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन दुनिया के 32 देशों में मिल चुका है। एस्ट्राजेनेका के टीके के प्रभाव पर सवाल अब उठा है। इससे पहले फाइजर और मॉडर्ना ने भी कह दिया था कि उनका टीका दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन के खिलाफ कम असरदार हो सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ विटवाटरसैंड के वायरोलॉजिस्ट डॉ. शबीर माधी का कहना है कि दो हजार लोगों पर हुए परीक्षण के नतीजे चौंकाने वाले हैं। दुनिया के सभी देशों को आगे की तैयारी रखनी होगी।
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