पूंजी बाजार नियामक सेबी ने बुधवार को सहारा इंडिया फाइनेंशियल कॉरपोरेशन लिमिटेड का सब-ब्रोकर का लाइसेंस निरस्त कर दिया। नियामक ने कंपनी को इस काम के लिए कई कसौटियों पर परखने के बाद यह निर्णय लिया। नियामक ने एक विशेष अधिकारी को वर्ष 2018 में यह जांच करने को कहा था कि यह जांच करने की जिम्मेदारी दी थी कि क्या सहारा इंडिया फाइनेंशियल ने बिचौलिये का काम करने वाली इकायों के लिए तय नियमनों का उल्लंघन किया है।
इस जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि सुब्रत रॉय सहारा के पिछले कामों और उनकी कंपनियों के खिलाफ न्यायिक फैसलों को देखते हुए सहारा इंडिया फाइनेंशियल सब-ब्रोकर के तौर पर काम करने के लिये उपयुक्त इकाई नहीं है। सेबी ने अपने आदेश में कहा है कि सुब्रत रॉय इस कंपनी में बड़े शेयरधारक हैं।
नियामक ने साथ कहा है कि उसका यह कर्तव्य बनता है कि वह प्रतिभूति बाजार की सुचिता को बनाये रखने के लिये उसमें काम करने वाले मध्यस्थों पर ‘‘सही एवं उपयुक्त’’ इकाई के मान मानदंड की दृष्टि से लगातार निगरानी रखे। आदेश के मुताबिक, ‘‘प्रतिभूति बाजार पर नजर रखने और निवेशकों के हितों की सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी के चलते सेबी नोटिस के तहत ली गयी कंपनी (सहारा इंडिया फाइनेंसियल) के एक बड़े शेयरधारक.. प्रवर्तक के खिलाफ की गयी कार्रवाइयों और मामलों को देखते हुये इस बात को हल्के में नहीं ले सकता है।
सेबी के 12 पृष्ट के पारित इस आदेश में नियामक के पूर्णकालिक सदस्य जी. महालिंगम ने कहा कि वह जांच अधिकारी के इस निष्कर्ष से पूरी तरह सहमति रखते हैं कि नोटिस के तहत ली गयी कंपनी बाजार में मध्यस्थ का कारोबार करने वाली इकाइयों से संबंधी नियमनों के अनुसार कोई ‘सही और सचुचित’ इकाई नहीं है।
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