बाजार नियामक सेबी ने प्रतिनिधि सलाहकारों (प्रॉक्सी एडवाइजर) के लिए प्रक्रियात्मक दिशानिर्देश जारी किए। इसके तहत उन्हें मतदान की सिफारिश करने के संदर्भ में नीतियां बनानी होगी और उसमें किसी प्रकार की नई व्यवस्था के बारे में अपने ग्राहकों को जानकारी देनी होगी।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक परिपत्र में कहा कि नए दिशानिर्देश एक सितंबर से अमल में आएंगे। सेबी ने कहा, ‘प्रतिनिधि सलाहकार मतदान की सिफारिश के बारे में नीतियां बनाएंगे और उसमें कुछ भी नया जोड़ा जाता है, तो उसके बारे में अपने ग्राहकों को जानकारी देंगे। प्रतिनिधि सलाहाकर यह सुनिश्चित करेंगे नीतियों में साल में कम-से-कम एक बार समीक्षा हो।’
इसमें कहा गया है कि सिफारिश की गई नीतियों में यह भी खुलासा होना चाहिए कि किन परिस्थितियों में वोटिंग सिफारिश उपलब्ध नहीं कराई जाएगी। इन सलाहकारों को अपने अनुसंधान और ग्राहकों को की गयी सिफारिशों के लिए अपनाए गए तौर-तरीकों और प्रक्रियाओं का भी खुलासा करना होगा। प्रतिनिधि सलाहकार किसी भी प्रकार की तथ्य संबंधी गड़बड़ी या सामग्री में समीक्षा के बारे में 24 घंटे के भीतर अपने ग्राहकों को सतर्क करेंगे।
सेबी के अनुसार उन्हें अपने ग्राहकों और कंपनी को प्रक्रियाओं के बारे में बताना होगा। साथ ही उन्हें अपने ग्राहकों और कंपनी के साथ रिपोर्ट साझा करनी होगी। प्रतिनिधि सलाहकार को इस बारे में अपनी वेबसाइट पर जानकारी देनी होगी। सेबी ने कहा कि कंपनी से टिप्पणी प्राप्त करने का लेकर समयसीमा को प्रतिनिधि सलाहकार परिभाषित कर सकते हैं। निश्चित समयसीमा के भीतर कंपनी की तरफ से जो भी टिप्पणियां या स्पष्टीकरण आएंगी, उसे रिपोर्ट में परिशिष्ट के रूप में शामिल किया जाएगा।
इसमें कहा गया है कि अगर कंपनी के विचार रिपोर्ट की सिफारिशों से अलग है, तब प्रतिनिधि सलाहकारों को उन विचारों पर गौर करते हुए परिशिष्ट रिपोर्ट में सिफारिशों को संशोधित करना होगा या रिपार्ट में अपनी टिप्पणी के साथ परिशिष्ट जारी करना होगा। इसके अलावा उन्हें यह भी बताना होगा कि जिस मामले में वे सलाह दे रहे हैं, उनका कोई हितों का टकराव तो नहीं है। किसी प्रकार के हितों के टकराव को रोकने के लिए उन्हें आवश्यक कदम उठाने होंगे।