तेजस्वी यादव ने कहा, ‘कोरोना पर नीतीश जी अभी तक दिशाहीन नजर आ रहे हैं’

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देश में कोरोना महामारी के बढ़ते मामले के बीच बिहार में कोरोना टेस्‍ट की संख्या भी बढ़ी है. टेस्‍ट की संख्‍या बढ़ने के साथ उसी अनुपात में पॉज़िटिव मरीज़ों की संख्या भी बढ़ रही हैं, लेकिन विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव इससे संतुष्ट नहीं है. उनके अनुसार राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोनों ही टेस्टिंग की संख्या और मशीन के बारे में परस्पर विरोधी बयान दे रहे हैं. गुरुवार को पटना में एक संवाददाता सम्मेलन में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा, ‘COVID-19 पर नीतीश जी अभी तक दिशाहीन नजर आ रहे हैं. ये मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि कोरोना नियंत्रण का जो पहला कदम है उसी में सरकार विपरीत दिशा में काम कर रही है. ये निर्विवाद तथ्य है कि टेस्टिंग इसकी नींव है और आज पांच महीनों बाद भी टेस्टिंग रणनीति को दुरुस्त नहीं कर पाए. आज भी RT-PCR टेस्ट की क्षमता मात्र 5000 है और प्राइवेट जांच केंद्रों को जोड़ें तो ये 6100 हो रहा है.

तेजस्वी ने कहा, ‘बिहार के स्वास्थ्यमंत्री ने 3 अगस्त को सदन में मेरे बार-बार पूछने पर बताया कि बिहार में कुल कोरोना जांच में से 52.9% RT-PCR, 17.9% TrueNat और 29% एंटीजेन टेस्ट हो रहे हैं. लेकिन CM नीतीश कुमार ने 11 अगस्त को PM के साथ समीक्षा बैठक में बताया कि बिहार में प्रतिदिन 10% से भी कम RT-PCR जांच हो रही हैं. अब बताइए मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री में से कौन सच्चा है और कौन झूठा? विपक्ष के नेता के अनुसार, पिछले कुछ हफ़्तों से जो जाँच की संख्या बतायी जा रही है वो दरअसल वो एंटीजेन की वजह से है. एंटीजेन एक प्रकार का स्क्रीनिंग टेस्ट है जिसकी ICMR के अनुसार सटीकता बहुत ही कम है. Screening Test और diagonstic test दोनों अलग चीज़ें हैं.

तेजस्वी ने कहा कि यहां तक कि ICMR ने भी इसको (Rapid Antigen Test) सिर्फ कन्टेनमेंट जोन और हेल्थ सेटिंग्स तक सीमित करने का दिशानिर्देश जारी किया है और विशेषकर RT-PCR जांच जो कि जांच का गोल्‍ड स्‍टेंडर्ड है उसको बढ़ाया जाने का सुझाव सभी राज्यों को दिया है और हमारे मुख्यमंत्री RT-PCR को कम करके एंटीजन टेस्ट को बढ़ा रहे. अब आप खुद अंदाज़ा लगा सकते हैं किस तैयारी के साथ वो कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं.इसके बाद उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री द्वारा 5 नए मेडिकल कॉलेज में RT-PCR जाँच केंद्रों की स्थापना की बात कही गयी है जबकि 11 अगस्त तक की जारी ICMR की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार बिहार से कोई नए लेबोरेटरी की स्वीकृति के लिए कोई आवेदन नहीं दी गयी है। ये बेहद शर्मनाक है कि मुख्यमंत्री झूठ बोलकर प्रधानमंत्री जी और बिहार वासियों को गुमराह करते है. मुख्यमंत्रीजी ने खुद माना है कि RT-PCR जांच की संख्या बहुत कम है और पिछले एक हफ्ते से औसतन 70 हजार टेस्ट किये जा रहे हैं अगर RT-PCR टेस्ट की बात करें तो वो 10 प्रतिशत से भी कम है.अंत में बिहार देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में एक अजूबा है जहाँ जब 10 हजार जाँच हो रही थी तो 2500-3000 मरीज मिल रहे थे और आज जब 70 हजार जांच हो रही तब भी लगभग उतने ही मरीज मिल रहे है.इसका सीधा मतलब है जांच में झोल हो रहा है,आंकड़ों की हेरा फेरी हो रही है.नीतीश जी अपनी जगहसाई से बचने के लिए रैपिड एंटीजन टेस्ट की संख्या बढ़ा रहे हैं.

तेजस्‍वी के अनुसार, Rapid Antigen Tests performance target को पूरा कर सकती है और ज्यादा टेस्टिंग की हम लोगों की मांग को भी पूरा कर दे लेकिन यह वायरस के फैलाव की वास्तविक हकीकत का पता लगने में नाकाम रहने का जोखिम लाती है. True Nat machines द्वारा जाँच Antigen Tests से बेहतर रिजल्ट देती है और लगभग RT-PCR पैटर्न पर काम करती है 37 मशीनें होने के बावजूद प्रतिदिन सिर्फ 4400 ही टेस्ट किये जा रहे है. ये साफ़ दर्शाता है की नीतीश जी की मंशा कोरोना संक्रमण रोकने की नहीं बल्कि अपना चेहरा चमकाने की है. वो चाहते हैं कि जांच की संख्या को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जाये और ये बताया जाये की सबकुछ ठीक है. लगभग सभी राज्यों ने RT-PCR जांच का दायरा बढ़ाने का काम किया है.तमिलनाडु में सभी टेस्ट RT-PCR द्वारा हुए हैं और रोजाना औसतन 67000 जांच किये जा रहे है उसी प्रकार आंध्र प्रदेश में 27000, गुजरात में 20000 प्रतिदिन RT-PCR जाँच हो रहे.

उन्‍होंने कहा, ‘मैं नीतीश जी से आग्रह करूँगा की वो जाँच में प्रतिदिन कुल RT-PCR tests 50 हजार करने की दिशा में काम करें और कम से कम 50 और TRUENAT मशीन को procure करके इनका capacity utilization करते हुए कम से 10000 जांच करें. COVID केयर के लिए एक लाख बेड्स का प्रबंध करें.’नीतीश जी बताएं Emergency Response and Health System Preparedness Package में मिले फंड्स का कितना पैसा खर्च हुआ है और दूसरे किश्त में बिहार को क्यों बाहर रखा गया है जबकि बिहार को इसकी सबसे ज्यादा जरुरत है? क्या ड़बल इंजन का यही फ़ायदा बिहार को मिला? मुख्यमंत्री जी ये भी बताएं की कोरोना रिलीफ फंड्स में कितने पैसे खर्च हुए अभी तक ? क्या बिहार सरकार ने स्वयं वेंटिलेटर्स,जाँच कीटस, और उससे सम्बंधित उपकरण ख़रीदे हैं या केंद्र सरकार पर ही निर्भर है ?9-20 जुलाई को कोरोना की विस्फोटक हालत को देखते हुए आयी केंद्रीय टीम के सुझावों पर 20 दिनों में क्या प्रगति हुई है ?RT-PCR labs की संख्या और उनकी क्षमता अविलम्ब बढ़ाएं और प्रतिदिन RT-PCR टेस्‍ट की संख्या 50 हजार करें.