आरबीआइ के निर्देश पर बैंकों ने कोविड से प्रभावित कंपनियों को कर्ज वापसी में राहत देने की नीति तो लागू कर दी है लेकिन बहुत ही कम कंपनियां इस सुविधा का फायदा उठाना चाहती हैं। वजह यह है कि एक बार पुराने कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग होने के बड़ी बड़ी कंपनियों की रेटिंग पर असर पड़ने की संभावना है। देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक पीएनबी ने कहा है कि उसके पास अभी तक महज 15 कंपनियों की तरफ से ही आवेदन आये हैं जिसमें मुश्किल से 2000 करोड़ रुपये के बकाये कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग होनी है।
पीएनबी के एमडी एस एस मल्लिकार्जुन राव के मुताबिक, ”हमें पहले उम्मीद थी कि 40 हजार करोड़ रुपये के कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग होगी लेकिन अब लगता है कि 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के बकाये कर्ज के ग्राहकों को ही यह सुविधा देनी होगी।”रिस्ट्र्क्चरिंग प्रक्रिया के तहत लोन ग्राहकों को बैंक नए सिरे से कर्ज चुकाने का मौका देता है।
इसके तहत कर्ज चुकाने की अवधि बढ़ा दी जाती है और कई बार बकाया ब्याज भी माफ किया जाता है। आरबीआइ ने बैंकों को कोविड से प्रभावित कंपनियों को अगले दो वर्षो का समय देने का प्रावधान लागू किया है। पीएनबी के एमडी का कहना है कि, ‘कंपनियों की तरफ से बताया गया है कि एक बार रिस्ट्रक्चरिंग होने के बाद उनकी रेटिंग पर दो वर्षो तक का असर होगा। रेटिंग एजेंसियां तब तक रेटिंग नहीं देती हैं जब तक लोन रिस्ट्रक्चरिंग की अवधि जारी रहती है।’
हालांकि वह मानते हैं कि छोटे व मझोले औद्योगिक इकाइयों (एमएसएमई) की तरफ से ज्यादा कर्ज चुकाने की सुविधा लेने के आवेदन आ रहे हैं। 31 दिसंबर, 2020 तक एमएसएमई सेक्टर से 6,000 करोड़ रुपये के कर्ज को यह सुविधा दिए जाने की संभावना पीएनबी एमडी ने जताई है।कोविड ने बैंक के फंसे कर्जे (एनपीए) के स्तर पर क्या असर डाला है, इस सवाल के जवाब में राव का कहना है कि उम्मीद से बेहतर स्थिति रहेगी।
चालू वित्त वर्ष दौरान शुद्ध एनपीए में फंसी राशि में से 18 हजार करोड़ की वसूली होने की संभावना है। कुल अग्रिम के मुकाबले सकल एनपीए का स्तर 14 फीसद और शुद्ध एनपीए का स्तर 5 फीसद रहने की उम्मीद है। बैंक को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान ऋण वितरण में 4 से 6 फीसद की वृद्धि होगी। पहले 6 से 8 फीसद की वृद्धि दर अनुमानित थी।