देश को मिल गई नई संसद, PM मोदी ने हवन-पूजा के बाद लोकसभा में स्थापित किया सेंगोल..

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नए संसद भवन का लोकार्पण कर उसे देश को समर्पित किया. वह सुबह अपने आवास 7 लोक कल्याण मार्ग से सबसे पहले नए संसद भवन के सामने बने पंडाल में पहुंचे, जहां लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने उनका स्वागत किया. यहां उन्होंने महात्मा गांधी की मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित की और इसके बाद हवन-पूजन में शामिल हुए. तमिलनाडु से आए अधीनम संतों ने अनुष्ठान संपन्न कराया. पीएम मोदी ने ‘सेंगोल’ की पूजा की और संतों के सामने साष्टांग होकर उनका आशीर्वाद लिया. अनुष्ठान में अधीनम संतों ने पीएम मोदी को ‘सेंगोल’ सौंपा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संतों के नेतृत्व में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच ‘सेंगोल’ को लेकर नई संसद में प्रवेश हुए और लोकसभा कक्ष में स्पीकर की चेयर के ठीक सामने इसे स्थापित किया. यहां से पीएम नई संसद के हॉल में पहुंचे, जहां सभी गणमान्य मौजूद थे. उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के साथ नए संसद भवन का औपचारिक लोकार्पण किया. इस मौके पर सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन हुआ, जिसमें 12 धर्मों के प्रतिनिधियों ने पवित्र शब्दों का उच्चारण किया और नई संसद की सफलता, सुरक्षा की कामना की. देश के 20 विपक्षी दलों ने इस समारोह का बहिष्कार किया, जबकि 25 दल लोकार्पण समारोह​ में शामिल हुए.

नया संसद भवन भारत की विविधता को दर्शाता

आपको बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर, 2020 को नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी. उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के कालीनों, त्रिपुरा के अगरतला के बांस से बने फर्श और राजस्थान के पत्थर की नक्काशी के साथ नया संसद भवन भारत की विविधता को दर्शाता है. अंग्रेजों से सत्ता के हस्तांतरण का प्रतिनिधित्व करने के लिए पहली बार तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू द्वारा प्राप्त तमिलनाडु का एक ऐतिहासिक राजदंड ‘सेंगोल’ नए संसद भवन में स्थापित हुआ. यह त्रिकोणीय आकार की चार मंजिला इमारत है, जिसका निर्मित क्षेत्र 64,500 वर्ग मीटर है. इसके तीन मुख्य द्वार हैं- ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार. इसमें वीआईपी, सांसद और आगंतुकों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार हैं.

टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा निर्मित इस भवन में भारत की लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक भव्य संविधान हॉल, सांसदों के लिए एक लाउंज, एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष, भोजन क्षेत्र और पर्याप्त पार्किंग स्थान दिया गया है. इमारत में लोकसभा कक्ष में 888 सदस्य और राज्यसभा कक्ष में 300 सदस्य आराम से बैठ सकते हैं. दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की स्थिति में निचले सदन में कुल 1,280 सदस्यों को समायोजित किया जा सकता है. भारत का पुराना संसद भवन 1927 में बनकर तैयार हुआ था, जो अब लगभग 100 साल पुराना होने जा रहा है. इसके दोनों सदनों राज्यसभा और लोकसभा में सांसदों के बैठने की सुविधाजनक व्यवस्था का भी अभाव था. भारत में फिलहाल 1971 की जनगणना के आधार पर किए गए परिसीमन पर आधारित लोकसभा सीटों की संख्या 545 है और राज्यसभा में सीटों की संख्या 245 है. आने वाले समय में आबादी के हिसाब से नए सिरे से परिसीमन होगा, जिसके बाद दोनों सदनों में सदस्यों की संख्या बढ़ेगी. ऐसे में नई संसद की जरूरत थी.