संसद के ऊपरी सदन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के साथ सीमा पर चल रहे तनाव को लेकर बयान दिया। उन्होंने कहा कि मैं सदन को यह बताना चाहता हूं कि भारत ने चीन को हमेशा यह कहा है कि द्वीपक्षीय संबंध दोनों पक्षों के प्रयास से ही विकसित हो सकते हैं, साथ-साथ ही सीमा के प्रश्न को भी बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेनाओं ने सभी चुनौतियों का डट कर सामना किया तथा अपने शौर्य एवं बहादुरी का परिचय दिया। उन्होंने सदन को बताया कि चीनी सेना पीछे हटने को तैयार हो गई है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और स्थिरता में किसी प्रकार की प्रतिकूल स्थिति का हमारी द्वीपक्षीय संबंधों पर बुरा असर पड़ता है। हमारी सशस्त्र सेनाओं द्वारा भारत की सुरक्षा की दृष्टि से पर्याप्त तथा प्रभावी काउंटर तैनाती की गई है। एलएसी तथा सीमाओं पर शांति और स्थिरता कायम रखना द्वीपक्षीय संबंधों के लिए अत्यंत आवश्यक है।
रक्षा मंत्री ने सदन में कहा कि मुझे सदन को यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे इस दृष्टिकोण तथा निरंतर वार्ता के फलस्वरूप चीन के साथ पैंगोंग झील के दक्षिण एवं पश्चिमी बैंक पर चीनी सेना के पीछे हटने का समझौता हो गया है। समझौता के अनुसार दोनों पक्ष फॉरवर्ड डिप्लॉयमेंट को चरणबद्ध, समन्वित और सत्यापित तरीके से हटाएंगे।
राजनाथ ने कहा, मुझे यह बताते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि भारतीय सेनाओं ने इन सभी चुनौतियों का डट कर सामना किया है तथा अपने शौर्य एवं बहादुरी का परिचय पैंगोंग त्से के साउथ एवं नॉर्थ बैंक पर दिया है। भारतीय सेनाएं अत्यंत बहादुरी से लद्दाख की ऊंची दुर्गम पहाड़ियों तथा कई मीटर बर्फ के बीच में भी सीमाओं की रक्षा करते हुए अडिग हैं और इसी कारण हमारा एज बना हुआ है। हमारी सेनाओं ने इस बार भी यह साबित करके दिखाया है कि भारत की संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा करने में वे सदैव हर चुनौती से लड़ने के लिए तत्पर हैं और अनवरत कर रहे हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘मैं इस सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस बातचीत में हमने कुछ भी खोया नहीं है। सदन को यह जानकारी भी देना चाहता हूं कि अभी भी एलएसी पर डिप्लॉयमेंट तथा पेट्रोलिंग के बारे में कुछ बकाया मुद्दें बचे हैं। इन पर हमारा ध्यान आगे की बातचीत में रहेगा। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि द्विपक्षीय समझौता तथा प्रोटोकॉल के तहत पूर्ण डिसइंगेजमेंट जल्द से जल्द कर लिया जाए। चीन भी देश की संप्रभुता की रक्षा के हमारे संकल्प से अवगत है। यह अपेक्षा है कि चीन द्वारा हमारे साथ मिलकर बचे हुए मुद्दों को हल करने का प्रयास किया जाएगा।’
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