जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की हिरासत तीन महीने और बढ़ा दी गई है. शुक्रवार को यह फैसला किया गया. उनकी रिहाई को लेकर अब सोशल मीडिया पर मांग जोर पकड़ रही है. कुछ देर पहले देश के पूर्व गृह और वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर मुफ्ती की रिहाई की मांग की. चिदंबरम ने ट्वीट में लिखा, ‘PSA के तहत श्रीमती महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी का विस्तार करना, कानून का दुरुपयोग है और ये प्रत्येक नागरिक को संवैधानिक अधिकारों को मिलने वाली गारंटी पर हमला है. 61 वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री, चौबीसों घंटे सुरक्षा गार्ड के तहत एक संरक्षित व्यक्ति, सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा कैसे है?’
पी. चिदंबरम ने आगे लिखा, ‘उन्होंने (महबूबा मुफ्ती) उन शर्तों को जारी करने के प्रस्ताव को सही ढंग से खारिज कर दिया, जो कोई भी स्वाभिमानी राजनीतिक नेता मना कर देता. उनकी नजरबंदी के लिए दिए गए कारणों में से एक- उनकी पार्टी के झंडे का रंग है, ये हंसी के योग्य है.’ वह आगे लिखते हैं, ‘उन्हें अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के खिलाफ क्यों नहीं बोलना चाहिए? क्या यह स्वतंत्र भाषण के अधिकार का हिस्सा नहीं है?’
चिदंबरम लिखते हैं, ‘मैं अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाले SC में एक मामले में पेश वकीलों में से एक हूं. अगर मैं अनुच्छेद 370 के खिलाफ बोलूं, जैसा कि मुझे करना चाहिए, क्या यह सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा है? हमें सामूहिक रूप से अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए और महबूबा मु्फ्ती को फौरन रिहा करने की मांग करनी चाहिए.’
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