उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत के मामले में नोएडा की दवा कंपनी मैरियन बायोटेक के सैंपल फेल पाए जाने पर कंपनी का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है। स्टेट लाइसेंस अथॉरिटी ने ई-मेल के जरिए कंपनी को इसकी जानकारी दी है। जिला ड्रग इंस्पेक्टर वैभव बब्बर ने बताया कि जनवरी में मैरियन बायोटेक कंपनी से 36 सैंपल जांच के भेजे गए थे। 22 सैंपल फेल होने पर कंपनी के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई थी। इस आधार पर कंपनी का लाइसेंस निरस्त करने के लिए स्टेट लाइसेंस अथारिटी को भेजा गया था। जिसके बाद कंपनी का लाइसेंस कैंसल कर दिया गया है।
दरअसल नोएडा की मैरियन बायोटेक कंपनी के कफ सीरप DOK-1 MAX में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल केमिकल मिलाया जा रहा था। यह केमिकल भारत समेत कई देशों में बैन है। इसे सीरप को स्ट्रांग और टेस्टी बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। चंडीगढ़ लैब से आई सिरप के सैंपल की रिपोर्ट में इस रिपोर्ट का खुलासा हुआ है। अलग-अलग जांच में सीरप के 22 सैंपल फेल हुए हैं। यह वही कफ सिरप है जिसे उज्बेकिस्तान सरकार ने 18 बच्चों की मौत का जिम्मेदार ठहराया था। इसके बाद ही इस मामले में भारत सरकार एक्टिव हुई। सिरप का सैंपल लिए गए और जांच के लिए भेजे गए। डायथिलीन/एथिलीन ग्लाइकॉल को मिलाने से इसे पीने पर कड़वाहट महसूस नहीं होती है। मगर, केमिकल की ज्यादा मात्रा इसको धीमी मौत का सामान बना देती है।
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