पाकिस्तानी शिक्षा कार्यकर्ता और नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने वैश्विक महामारी कोरोना के बीच कहा है कि इस संकट के खत्म होने के बाद भी दुनिया भर में तकरीबन 2 करोड़ लड़कियां कभी भी स्कूल नहीं लौट पाएंगी।
डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक साइड इवेंट में मलाला ने स्वीकार किया कि कोरोना वायरस हमारे सामूहिक लक्ष्यों जैसे कि महिलाओं को शिक्षित करने के लिए एक बड़ा झटका है। मलाला ने कहा कि अकेले शिक्षा की बात करें तो यदि कोरोना काल का संकट भी समाप्त भी हो जाए तो भी दुनिया में 2 करोड़ से अधिक लड़कियां दोबारा अपने क्लासरूम नहीं लौट सकेंगी। उन्होंने कहा कि वैश्विक शिक्षा वित्तपोषण का अंतर पहले ही बढ़कर 200 अरब डॉलर प्रति वर्ष हो गया है।
पिछले माह जारी की गई संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक महामारी ने इतिहास में शिक्षा प्रणालियों में सबसे अधिक व्यवधान पैदा किया है, इससे 190 देशों और सभी महाद्वीपों से लगभग 1.6 अरब छात्र प्रभावित हुए हैं। स्कूलों और अन्य शिक्षण स्थानों के बंद होने से दुनिया की 94 प्रतिशत छात्रों पर गहरा असर पड़ा है, जो निम्न और निम्न-मध्य आय वाले देशों में 99 प्रतिशत तक है।
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