राजनीति

एम वेंकैया नायडू बोले – संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त, ‘निर्वाचित प्रतिनिधि संस्था का बना रहे मजाक, इसे जल्द करना होगा ठीक’

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष द्वारा किए गए हंगामे का जिक्र करते हुए कहा, ‘हमारे कुछ निर्वाचित प्रतिनिधि संस्था का मजाक बना रहे हैं. इसे जल्द से जल्द ठीक करना होगा.’ वेंकैया नायडू की ये टिप्पणी एक कार्यक्रम में संसद के शीतकालीन सत्र के निर्धारित समय से एक दिन पहले समाप्त होने के बाद आई है. सत्र के दौरान विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों द्वारा बार-बार व्यवधान देखा गया.

दोनों सदन बुधवार को बेमियादी स्थगित हो गए. राज्यसभा में करीब 50 और लोकसभा में 19 घंटे का कीमती समय हंगामे के कारण बर्बाद हुआ.सत्र की 18 बैठकों में कोरोना को छोड़ न तो किसी विधेयक, न ही अन्य किसी अहम मुद्दे पर सार्थक चर्चा हो पाई. . राज्यसभा में भी कामकाज की शुरुआत होने से पहले ही सभापति वेंकैया नायडू ने कार्यवाही रोक दी. वंदेमातरम के बाद, दोनों ही सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिए गए.हालांकि, विधायी कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ा. हंगामे के बीच ही सरकार ने 12 अहम विधेयक पारित करवा लिए. सरकार ने समय पूर्व स्थगन के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया है.

कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी जताई नाराजगी
संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने दोनों सदनों के स्थगित होते ही कहा, दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे प्रयासों के बावजूद विपक्ष हंगामा करता रहा. समस्या असल में दूसरी है. विपक्ष को 2019 में बीजेपी को मिला जनादेश हजम नहीं हो रहा. इसलिए कार्यवाही बाधित करने के लिए वह लगातार कृत्रिम मुद्दे उठाता रहा.

सभापति खफा, बोले- यह रवैया गलत
संसदीय कार्यवाही में निरंतर बाधा से नाराज राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि हंगामे के कारण सत्र समय से पहले खत्म करना पड़ा. मैं बिलकुल खुश नहीं हूं कि सदन अपनी क्षमता से बहुत कम काम कर पाया.

आवाज दबाने की साजिश
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार पर आरोप लगाया कि बिलों को बिना चर्चा के आसानी से पास कराने के लिए विपक्षी सांसदों को निलंबित कराया गया. सरकार चीन, महंगाई, बेरोजगारी, लखीमपुर हिंसा के मुद्दे उठने नहीं देना चाहती, इसीलिए जानबूझकर विपक्ष की आवाज को दबाने की साजिश की जा रही है. बता दें वेंकैया नायडू की अध्यक्षता में इस बार पिछले 4 वर्षों के मुकाबले काफी कम काम हुआ जो कि आंकड़ों के हिसाब से देखें तो सबसे कम कामकाज वाले सत्र में 5वें नंबर पर रहा. नायडू ने पिछले 4 वर्षों में राज्यसभा के 12 सत्रों की अध्यक्षता की है.

Khushi Sonker

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