कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच कोई गतिरोध नहीं है। जब भी इस मुद्दे पर मतभेद होता है, तो दोनों पक्ष परामर्श कर उपयुक्त लोगों की नियुक्ति सुनिश्चित करते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान रिक्तियों को तेजी से भरने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाता है। लेकिन, सेवानिवृत्ति, इस्तीफा या न्यायाधीशों की पदोन्नति के कारण रिक्तियां बढ़ती जाती हैं।
प्रसाद ने द्रमुक के राज्यसभा सदस्य पी विल्सन को लिखे पत्र में यह बात कही। कानून मंत्री इस वर्ष फरवरी में बजट सत्र के दौरान उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की कमी पर शून्य काल के दौरान विल्सन द्वारा उठाए गए मुद्दे का जवाब दे रहे थे। विल्सन ने पांच अक्टूबर को ट्विटर पर प्रसाद का पत्र साझा किया।
मंत्री के कार्यालय ने पुष्टि की कि इस तरह का पत्र लिखा गया है। राज्यसभा सदस्य ने इस मुद्दे पर ऊपरी सदन में उनके भाषण का क्लिप भी साझा किया, जिसमें उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि संसद न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच गतिरोध को सुलझाए। पूर्व अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल विल्सन ने दावा किया कि सरकार न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित करीब 230 नामों को दबाकर बैठी है।
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