भारत में बढ़ी ओमिक्रोन की रफ़्तार, अबतक 145 केस दर्ज

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Omicron Variant Outbreak in 108 Countries

देश में जानलेवा कोरोना वायरस (Coronavirus) के ओमिक्रोन वेरिएंट (Omicron Variant) की आफत बढ़ती जा रही है. अब तक कुल 145 केस सामने आ चुके हैं. वहीं भारत दोहरे खतरे से जूझ रहा है. पहला खतरा सरकार की नीतियां हैं और दूसरा खतरा है जनता की लापरवाही. नया साल नई मुसीबत लेकर आ सकता है. पढ़ें ये रिपोर्ट.

पहले जानिए भारत में कहां-कहां मिले ओमिक्रोन के केस

भारत में कुल केस- 145

महाराष्ट्र में 48
दिल्ली में 22
तेलंगाना में 20
राजस्थान में 17
कर्नाटक में 14
केरल में 11
गुजरात में 7
यूपी में 2
आंध्र प्रदेश में 1
चंडीगढ़ में 1
तमिलनाडु में 1
प. बंगाल में 1
नवी मुंबई के घनसोली के शेतकाली विद्यालय में 18 बच्चे कोरोना पॉजिटिव पाए गए, जिसके बाद सात दिन तक स्कूल बंद कर दिया गया है. इस घटना के बाद 800 छात्रों का कोरोना टेस्ट हो रहा है. नागपुर में भी एक स्कूल छात्र कोरोना पॉजिटिव पाया गया है. अब जिनोम सिक्वेंसिंग से पता ये किया जा रहा है कि क्या से ओमिक्रोन तो नहीं है?

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स्कूल खोलने पर देश में कोई एक नीति नहीं

वहीं ओमिक्रोन के खतरे के बीच दिल्ली में कल से छठी से बारहवीं के स्कूल फिर खुल गए. मुंबई में बच्चों के स्कूल पहले ही खोल दिए गए हैं. महाराष्ट्र में 18 दिसंबर तक कुल 48 ओमिक्रोन केस लेकिन स्कूल खोल दिए गए हैं. दिल्ली में ओमिक्रोन के 22 केस लेकिन स्कूल खुले हैं. चंडीगढ़ में ओमिक्रोन का एक केस है लेकिन स्कूल बंद कर दिए गए हैं. ये बताता है कि स्कूल खोलने पर देश में कोई एक नीति नहीं है.

दिल्ली सरकार ने ओमिक्रोन के खतरे के चलते 4 प्राइवेट अस्पतालों को डेडिकेटेड सेंटर बना दिया है. ये चार अस्पताल हैं-

गंगाराम अस्पताल
सैक्स साकेत
फोर्टिस वसंत कुंज
बत्रा अस्पताल, तुगलकाबाद
इससे पहले सिर्फ लोकनायाक अस्पताल ओमिक्रोन का डेडिकेटेड सेंटर था. यानी दिल्ली सरकार को अंदेशा है कि ओमिक्रोन के केस बढ़ सकते हैं.

चुनावी राज्य उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में दो ओमिक्रोन केसों की पुष्टि हो चुकी है, जिनका स्रोत्र भी पता नहीं लगा है. ऐसे में रैलियां और यात्राओं में भीड़ ओमिक्रोन के खतरे को बढ़ा रही हैं. ओमिक्रोन तेजी से आता है और फैलता चला जाता है. दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन और यूरोप के उदाहरण यही कह रहे हैं. वक्त रहते सीख ले लें तो बेहतर वर्ना इस लापरवाही और गलत नीतियों का नतीजा फिर से देश को भुगतना पड़ेगा.