किसान आंदोलनः किसानों के साथ फिर बेनतीजा रही वार्ता, 19 जनवरी को अगली बैठक के लिए बनी सहमति, जानिए नौवें दौर की वार्ता की पांच अहम बातें

किसान आंदोलन में सरकार और आंदोलनकारियों के बीच फिर नौवें दौर की ‘वार्ता’ बेनतीजा रही। ‘डेडलॉक’ के बीच अब ‘डायलॉग’ के लिए अगली तारीख 19 जनवरी मुकर्रर हुई है। अगली वार्ता से पहले 16 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में आंदोलन और रणनीति के अगले रोडमैप पर मंथन होने वाला है। नई तारीख पर ‘चर्चा’ के लिए फिलहाल दोनों (सरकार और किसान संगठन) तैयार हैं। करीब पांच घंटे चली इस वार्ता में पांच अहम बातें हुईं।

सुप्रीम कोर्ट से तीनों कानूनों के अमल पर रोक, बनाए गए पैनल व पैनल के एक सदस्य भाकियू (मान) के भूपिंदर सिंह मान के अलग होने के बाद के हालात पर नौवें दौर की वार्ता शुरू हुई। सरकार की ओर से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि फिलहाल तीनों कानूनों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट की रोक है और हम फैसले का सम्मान करते हैं, इसलिए खुले मन से चर्चा हो। सरकार ने अपने इरादे साफ कर दिए कि जब सुप्रीम कोर्ट के पैनल का बुलावा आएगा, तो सरकार अपना पक्ष रखेगी। 

सरकार की ओर से सलाह दी गई कि सुप्रीम कोर्ट के पैनल के सामने उन्हें भी अपना पक्ष रखना चाहिए। इससे हल निकलेगा। इस पर वार्ता में शामिल सभी 41 किसान संगठनों के शिष्टमंडल ने एक स्वर से जता दिया कि वे सुप्रीम कोर्ट के पैनल के सामने अपना पक्ष नहीं रखने वाले हैं। वे अपनी बात सरकार के सामने ही रखेंगे। पहले दिन से ही तीनों कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग है। किसानों ने कहा कि हम केवस सरकार से ही बात करेंगे।

सरकार ने किसान संगठनों के सामने एक नया प्रस्ताव रखा। आंदोलनकारी किसानों के अंदेशे को महसूस कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पैनल से इतर सरकार और किसान संगठनों का एक अनौपचारिक पैनल (कमेटी) बनाकर विवादित मुद्दों पर औपचारिक चर्चा शुरू हो। किसान संगठनों ने इस पर कहा, हम चर्चा ही तो कर रहे हैं। कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि सात या 11 सदस्यीय अनौपचारिक पैनल (छोटी समिति) बनाकर बात की जाए। 

इस पर किसान नेताओं ने कहा कि 400-500 किसान संगठनों के इस आंदोलन से अभी वार्ता में महज 41 किसान संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं तो इससे छोटी समिति और क्या हो सकती है। शुरू से अब तक जिन 41 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों का शिष्टमंडल वार्ता में शामिल हो रहा है, उसमें कटौती मंजूर नहीं है। यहां आपको बता दें, अमर उजाला ने शुक्रवार की वार्ता में समिति के फार्मूले का जिक्र पिछली रिपोर्ट में किया था।

Khushi Sonker

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