कर्नाटक के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री उमेश कट्टी अपने विवादित बयान के लिए बुधवार को मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा और विपक्षी दलों के निशाने पर आ गए। कट्टी से एक किसान ने जन वितरण प्रणाली के जरिए चावल की आपूर्ति बढ़ाने का अनुरोध किया जिसपर उन्होंने किसान से मर जाने को कहा था।
कट्टी ने बाद में अपना बयान वापस लेते हुए खेद जताया और कहा कि वह नहीं चाहते कि किसी की मौत हो और हर कोई समृद्ध बने। उत्तरी कर्नाटक के गडग के किसान कार्यकर्ता ईश्वर ने बुधवार को कट्टी को फोन किया था और उनसे पूछा कि एक महीने में दो किलो चावल के सहारे कोई कैसे जीवित रह सकता है जब लॉकडाउन के कारण हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं।
ईश्वर के सवाल पर मंत्री ने जवाब दिया कि लॉकडाउन के मद्देनजर मई और जून में केंद्र पांच किलो अनाज देगा। इस पर किसान ने कहा कि क्या लोगों को तब तक उपवास करना चाहिए या मर जाए। कट्टी ने कहा, ”बेहतर होगा मर जाए। बेहतर होगा कि आप चावल का व्यापार करना बंद कर दें। मुझे दोबारा फोन मत करना।”
मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में येदियुरप्पा के हवाले से बताया गया कि उन्होंने कट्टी के बयान को खारिज किया और कहा कि किसी मंत्री को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए। कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख डी के शिवकुमार ने कट्टी के बयान के लिए उनकी आलोचना की और राज्य सरकार से उन्हें तुरंत पद से हटाने को कहा। पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने भी कट्टी की आलोचना की
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