तीसरे देश में मिलकर काम करना चाहते हैं भारत-जापान: एस जयशंकर

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दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर भारत और जापान ने श्रीलंका, बांग्लादेश और म्यामांर जैसे देशों में मिलकर काम करने की योजना पर विचार करना शुरू कर दिया है। इसे चीन की विस्तारवादी नीति के खिलाफ अपने रणनीतिक हितों के लिए भारत और जापान की मजबूत होती गठजोड़ का प्रतीक के रूप में देखा जा सकता है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि दोनों देशों ने तीसरे देशों में काम करने के व्यावहारिक पहलुओं पर काम करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘हमने श्रीलंका में कुछ ऐसा ही किया है।’

जयशंकर ने कहा कि भारत और जापान ने हाल ही में सैन्य सहयोग को लेकर एक समझौते पर दस्तखत किया है जो हिंद और प्रशांत महासागर को लेकर दोनों देशों की सोच को दर्शाता है। इस समझौते से एशिया में सुरक्षा और स्थिरता को मजबूती मिलेगी। विदेश मंत्री इंडस्ट्री चैंबर फिक्की (FICCI) की ओर से आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में भारत-जापान के संबंधों पर बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि एशिया के बड़े और महत्वपूर्ण देशों को एकजुट हो जाना चाहिए क्योंकि एक-दूसरे के प्रति सशंकित रहकर व्यक्तिगत स्तर पर अपनी-अपनी ऊर्जा खत्म करने से इस महादेश का हित नहीं होगा। विदेश मंत्री का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब एशिया की दो सबसे बड़ी ताकतों भारत और चीन के बीच पिछले छह महीने से सीमा पर तनाव जारी है। ऐसे में एस. जयशंकर के इस बयान को चीन के लिए आह्वान के रूप में देखा जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘अगर हमें वैश्विक राजनीति में एशिया को और उन्नत स्थान दिलाना है तो सभी देशों और खासकर बड़े और महत्वपूर्ण देशों के लिए यह जरूरी है कि हम सब साथ हो जाएं। अगर हमने अपनी ताकत का सकारात्मक उपयोग करने के बजाय एक-दूसरे के खिलाफ इसका इस्तेमाल करते रहे तो इससे एशिया के हितों को बढ़ावा नहीं मिलने वाला।’