भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, देश का विदेशी मुद्रा भंडार नौ अप्रैल को समाप्त सप्ताह में 4.34 अरब डॉलर बढ़कर 581.21 अरब डॉलर हो गया। दो अप्रैल को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.42 अरब डॉलर घटकर 576.28 अरब डॉलर और 26 मार्च 2021 को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.99 अरब डॉलर घटकर 579.28 अरब डॉलर रह गया था। विदेशी मुद्रा भंडार, 29 जनवरी 2021 को समाप्त सप्ताह में 590.18 अरब डॉलर के अब तक के उच्चतम स्तार पर था।
इसलिए आई तेजी
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार नौ अप्रैल 2021 को समाप्त समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) के बढ़ने की वजह विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़त हुई है। विदेशीमुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का मुख्य हिस्सा हैं। रिजर्व बैंक के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन अवधि में एफसीए 3.02 अरब डॉलर बढ़कर 539.45 अरब डॉलर हो गईं। एफसीए को दर्शाया डॉलर में जाता है, लेकिन इसमें यूरो, पौंड और येन जैसी अन्य विदेशी मुद्रा सम्पत्तियां भी शामिल होती हैं।
35.32 अरब डॉलर हुआ स्वर्ण आरक्षित भंडार
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन सप्ताह में देश का स्वर्ण आरक्षित भंडार 1.30 अरब डॉलर बढ़कर 35.32 अरब डॉलर हो गया। आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मु्द्रा कोष (आईएमएफ) में प्राप्त विशेष आहरण अधिकार 60 लाख डॉलर बढ़कर 1.49 अरब डॉलर हो गया। इसी तरह आईएमएफ के पास आरक्षित मुद्रा भंडार भी 2.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.95 अरब डॉलर हो गया।
आइए जानते हैं विदेशी मुद्रा भंडार क्या है और इससे देश को कैसे फायदा होता है।
विदेशी मुद्रा भंडार देश के केंद्रीय बैंकों द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। यह आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्था को बहुत आवश्यक मदद उपलब्ध कराता है। इसमें आईएमएफ में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार के चार बड़े फायदे
साल 1991 में देश को पैसा जुटाने के लिए सोना गिरवी रखना पड़ा था। तब सिर्फ 40 करोड़ डॉलर के लिए भारत को 47 टन सोना इंग्लैंड के पास गिरवी रखना पड़ा था। लेकिन मौजूदा स्तर पर, भारत के पास एक वर्ष से अधिक के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त मुद्रा भंडार है। यानी इससे एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति सरलता से की जा सकती है, जो इसका सबसे बड़ा फायदा है। अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है और व्यापारिक साझेदारों का विश्वास अर्जित करता है। इससे वैश्विक निवेशक देश में और अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं।
सरकार जरूरी सैन्य सामान की तत्काल खरीदी का निर्णय बी ले सकती है क्योंकि भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है।
इसके अतिरिक्त विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार प्रभावी भूमिका निभा सकता है।