अप्रैल से अब तक चीन से करीब 12,000 करोड़ रुपये के 120 से ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) के प्रस्ताव आए हैं। अप्रैल में ही सरकार ने उन सभी देशों से एफडीआइ प्रस्तावों पर सरकारी मंजूरी अनिवार्य कर दी थी, जिनकी सीमाएं भारत से लगती हैं। इसके तहत चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अन्य पड़ोसी देशों से किसी भी सेक्टर में निवेश के लिए सरकार से मंजूरी लेना जरूरी है।
एफडीआइ प्रस्तावों की समीक्षा करने वाली अंतर मंत्रालयी कमेटी का कहना है कि निवेश के ज्यादातर प्रस्ताव ब्राउनफील्ड प्रोजेक्ट में हैं। इसका अर्थ है कि चीन की कंपनियों ने मौजूदा भारतीय कंपनियों में ही निवेश के लिए प्रस्ताव दिया।
कोविड-19 के कारण सामने आई चुनौतियों के बीच इस बात की आशंका सामने आई थी कि कुछ विदेशी कंपनियां मौके का फायदा उठाकर मुश्किल हालात का सामना कर रही भारतीय कंपनियों को सस्ते दाम में खरीद सकती हैं। इसे देखते हुए उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआइआइटी) ने अप्रैल में ऐसे सभी निवेश प्रस्तावों के लिए सरकारी मंजूरी अनिवार्य करने की जानकारी दी थी।
सूत्रों का कहना है कि कुछ चीनी कंपनियों ने सरकारी अनुबंधों के लिए बोली लगाने का आवेदन भी दिया है। उनके प्रस्ताव गृह मंत्रालय के पास भेजे गए हैं। बहुपक्षीय फंडिंग वाली परियोजनाओं के लिए चीनी कंपनियों की बोली पर रोक नहीं है।
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