अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के काबिज होने के बाद से वहां मानवीय संकट खड़ा हो गया है। देश भुखमरी की कगार पर खड़ा है। लोगों की आय के साधन समाप्त हो चुके हैं। बैंकों के पास फंड नहीं है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी अफगानिस्तान से अपने हाथ खींच लिए हैं।
मुद्रा कोष के प्रवक्ता गेरी राइस का कहना है कि जब तक तालिबान को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का रुख स्पष्ट नहीं हो जाता और इसे वैश्विक मान्यता नहीं मिल जाती तब तक वह सरकार के साथ अपने रिश्तों को बढ़ावा नहीं देंगे। गौरतलब है कि अफगानिस्तान में तालिबान की अंतरिम सरकार के गठन के बाद से वहां मानवीय संकट छाया है।
आर्थिक हालात को लेकर चिंता, लेकिन नहीं कर सकते मदद
आईएमएफ प्रवक्ता गेरी राइस का कहना है कि वह अफगानिस्तान के आर्थिक हालात को लेकर चिंतित हैं। लेकिन उसकी मदद तब तक नहीं की जा सकती जब तक उसे वैश्विक मान्यता नहीं मिल जाती। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से देश में किसी भी मानवीय संकट को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह भी किया है।
किसी भी देश ने नहीं दी है मान्यता
तालिबान में फिलहाल अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। दावा है जल्द ही स्थाई सरकार भी अस्तित्व में आएगी। रूस, चीन, पाकिस्तान, ईरान व तुर्की जैसे देश तालिबान को मौका देने की बात कह चुके हैं। पाकिस्तान और चीन तो इससे भी आगे बढ़ चुके हैं। इसके बावजूद अभी तक किसी देश ने तालिबान को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है।
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