ग्रीस ने फ्रांस से खरीदे छह राफेल लड़ाकू विमान, पादरी ने की स्वागत पूजा

अमेरिका के एफ-16 और रूस के एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम के बलबूते पर ग्रीस को आंखें दिखाने वाले तुर्की को अब करारा जवाब मिल गया है. ग्रीस को फ्रांस में बने अपने पहले छह राफेल लड़ाकू विमान मिल गए हैं. जिन्होंने बुधवार को सेंट्रल एथेंस के एक्रोपोलिस के ऊपर से उड़ान भरी. ऐसी संभावना है कि फ्रांस के साथ एक रक्षा सौदे के तहत खरीदे गए इन विमानों के कारण ग्रीस का उसके ऐतिहासिक प्रतिसपर्धी और नाटो सदस्य तुर्की के साथ तनाव और बढ़ा जाएगा. ग्रीस ने 3 बिलियन यूरो से अधिक की कीमत पर कुल 24 डसॉल्ट-निर्मित जेट का ऑर्डर दिया है.

ग्रीस अपनी सेना को आधुनिक बनाने पर ध्यान दे रहा है. उसी कड़ी में ये लड़ाकू विमान खरीदे गए. पूर्वी भूमध्य सागर में ऊर्जा संसाधनों को लेकर तुर्की और ग्रीस का लंबे समय से विवाद चल रहा है. ऐसे में राफेल विमान का यहां आना एक बड़ी बात है. इसके अलावा दोनों देशों के बीच हवाई क्षेत्र, कुछ एजियन द्वीपों और साइप्रस के जातीय रूप से विभाजित द्वीप को लेकर भी तनाव है. लेकिन दोनों ने ही पिछले साल इन मसलों को सुलझाने के लिए फिर से बातचीत शुरू कर दी थी. ग्रीस के प्रधानमंत्री क्यारीकोस मित्सोटाकिस ने कहा, ‘आज जो नए राफेल जेट आए हैं, वे पूरे क्षेत्र के बेहतर और शांतिपूर्ण भविष्य हेतु उड़ान भरने के लिए तैयार हैं.’

इस बीच एक बेहद खास चीज देखने को मिली. ग्रीस में भी राफेल का ठीक वैसे ही स्वागत हुआ जैसे भारत में किया गया था. यहां पादरियों ने विमानों की ‘शस्‍त्रपूजा’ की. ग्रीक टेलीविजन प्रसारण एथेंस ने तनाग्रा एयरबेस के पास आए इन छह लड़ाकू विमानों का लाइव प्रसारण किया. जहां कंट्रोल टॉवर से ‘वेलकम होम’ का संदेश प्रसारित किया गया. मित्सोटाकिस ने कहा कि राफेल सौदा स्वायत्तता के लिए यूरोप की रणनीति में योगदान दे रहा है. वह इससे पहले रक्षा बलों, पुलिस, तट रक्षक और अग्निशामकों के तौर पर काम करने वालों के लिए टैक्स में राहत देने का ऐलान कर चुके हैं.

ग्रीस की संसद ने अक्टूबर महीने में नाटो के सहयोगी फ्रांस के साथ एक रक्षा समझौते की पुष्टि की थी. जिसके तहत वह बाहरी खतरे की स्थिति में एक-दूसरे की सहायता के लिए आगे आएंगे. इस समझौते में 3 अरब यूरो के तीन फ्रांसीसी युद्धपोतों का ऑर्डर भी शामिल है. ग्रीस ने इतना बड़ा समझौता एक दशक तक लंबे चले वित्तीय संकट के बाद किया है. जिससे तुर्की की चिंता बढ़ना लाजमी है. हालांकि फ्रांस का कहना है कि यह समझौता किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं है, बल्कि यूरोपीय संघ के दक्षिणपूर्वी हिस्से की रक्षा करने वाले ग्रीस की रक्षा करने के लिए है.

Aman Yadav

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