गेटवे ऑफ मिलिटेंसी के नाम से कुख्यात रहा कुपवाड़ा अब धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। हालांकि, इसके सामने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार इस समय भी करीब 250 आतंकी घुसपैठ की फिराक में लांचिग पैड पर जमे हैं, लेकिन कुपवाड़ा में अब आतंकियों को कोई पनाह नहीं देगा। स्थानीय लोग आतंकवाद के खिलाफ लामबंद हो चुके हैं।
यही कारण है कि बीते एक साल में कुपवाड़ा से कोई भी युवक आतंकी नहीं बना है। यह दावा सेना की 28 डिवीजन के जीओसी (जनरल कमांडिंग ऑफिसर) एडीएस आहूजा ने मच्छल मेले में बातचीत में कहा है। मच्छल एलओसी के साथ सटा हुआ है।
आतंकियों की घुसपैठ कराने के लिए पाकिस्तानी सेना मच्छल में भारतीय सेना की अग्रिम चौकियों व रिहायशी इलाकों पर अक्सर गोलाबारी करती रहती है। आहूजा ने कहा कि कुपवाड़ा लगभग तीन दशकों तक आतंक का गढ़ रहा है। अब यहां हालात लगभग सामान्य हैं और यह कश्मीर के सबसे शांत जिलों में शामिल हो चुका है।
यहां बीते एक साल से शायद ही कभी कोई राष्ट्रविरोधी हिंसक प्रदर्शन देखने को मिला होगा। पत्थरबाजी बंद हो चुकी है, आतंकी संगठनों में नए लड़कों की भर्ती भी नहीं हो रही है। यह सब कश्मीर में बदलते हालात और अच्छे दिनों की आमद का संकेत है। इसका यह मतलब नहीं कि सबकुछ पूरी तरह सामान्य हो चुका है, बल्कि पाकिस्तान और उसके इशारे पर चलने वाले आतंकियों व अलगाववादियों की हताशा बढ़ चुकी है। हमें पहले से ज्यादा चौकस रहने की जरूरत है।