संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करना चाहता है तालिबान, महासचिव को चिट्ठी लिखकर की मांग

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अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद अब अफगानिस्तान की सत्ता तालिबान के हाथ आ चुकी है. ऐसे में तालिबान ने न्यूयॉक में जारी संयुक्त राष्ट्र महासभा के बीच ही अपने राजदूत की नियुक्ति की है. साथ ही तालिबान ने UNGA से कहा है कि उनके प्रतिनिधि को न्यूयॉर्क में संबोधित करने का मौका दिया जाए. तालिबान की तरफ से मोहम्मद सोहेल शाहीन को यूएन में प्रतिनिधि नियुक्त किया गया है. शाहीन कतर में जारी शांति वार्ता के समय संगठन के प्रवक्ता के तौर पर मौजूद थे.

ऐसा माना जा रहा है कि तालिबान द्वारा उठाए जा रहे इस कदम से अफगानिस्तान के पूर्व राजदूत और तालिबान के बीच एक नए राजनयिक सतनाव की शुरुआत हो सकीत है. बता दें कि UN विश्व के कई देशों के संगठन वाली संस्था है. ऐसे में तालिबान की तरफ से लिए गए फैसले को बड़ी चुनौती माना जा रहा है.

तालिबान का फैसला
वर्तमान में दुनिया की नजर अफगानिस्तान पर है. तालिबान के हर कदम पर दुनिया निगाहे टिकाए बैठी है. ऐसे में वैश्विक समूह फिलहाल तालिबान को मान्यता देने के मूड में नहीं हैं. ऐसे में अब यूएन को लेकर आया तालिबान का यह ऐलान एक संवेदनशील निर्णय करार दिया जा रहा है. सवाल तो यह उठ रहे हैं कि क्या वाकई तालिबान को UN जैसे मंच पर उनके विचारों को साझा किए जाने का मौका दिया जाना चाहिए. वहीं अगर ऐसा होता है तो आतंकी संगठन को किस हत तक आजादी दी जानी चाहिए.

यूएन के प्रमुख एंटोनिया गुटारेज के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक के मुताबिक 15 सितंबर के दिन इस बाबत संस्था को एक संदेश भेजा गया था. इस संदेश में अफगानिस्तान से आने वाले प्रतिनिधि दल के तौर पर अफगान राजदूत गुलात इसाकजई का नाम दर्ज था. वहीं नए संदेश में तालिबान ने कहा है कि इसाकजई अब देश के प्रतिनिधि नहीं हैं क्योमंकि पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी को 15 अघस्त को उनके पद से हटा दिया गया था. तालिबान का कहना है कि दुनिया के देश अभ उन्हें राष्ट्रपति के तौर पर स्वीकार नहीं करते हैं. तालिबान ने इसी कड़ी में आगे कहा कि मोहम्मदल सोहेल शाहीन को यूएन में प्रतिनिधि के तौर पर स्वीकार कर लिया जाए.