तुर्की समर्थित विपक्षी लड़ाकों के नियंत्रण वाले सीरियाई शहर पर गुरुवार को हुए रॉकेट हमले में छह लोगों की मौत हो गई और 30 अन्य लोग घायल हुए हैं. सीरियाई बचाव दल और एक युद्ध निगरानी समूह ने यह जानकारी दी. दोनों ने हमले के लिए अमेरिका समर्थित सीरियाई कुर्द बलों को जिम्मेदार ठहराया है. अफरीन शहर 2018 से तुर्की और उसके सहयोगी सीरियाई विपक्षी लड़ाकों के नियंत्रण में है. 2018 में तुर्की समर्थित एक सैन्य अभियान में सीरियाई कुर्द लड़ाकों और हजारों कुर्द निवासियों को क्षेत्र से बाहर धकेल दिया गया था.
तभी से अफरीन और आसपास के गांव तुर्की और उसके समर्थन वाले लड़ाकों का निशाना रहे हैं. तुर्की अपनी सीमा से लगे सीरियाई क्षेत्र पर नियंत्रण करने वाले कुर्द लड़ाकों को आतंकवादी मानता है, जो तुर्की के भीतर कुर्द विद्रोहियों के साथ संबद्ध हैं. तुर्की ने सीरिया में तीन सैन्य हमले किए हैं, ज्यादातर उसने सीरियाई कुर्द मिलिशिया को अपनी सीमा से दूर भगाने के लिए किए हैं. ‘व्हाइट हेल्मेट्स’ ने बताया कि इस रॉकेट हमले में अफरीन के एक रिहायशी इलाके में आग लग गई थी, जिसे उसके स्वयंसेवकों ने बुझा दिया है.
‘व्हाइट हेल्मेट्स’ की एक वीडियो में बचावकर्मी आग में झुलसे शवों को क्षतिग्रस्त इमारत से बाहर निकालते नजर आ रहे हैं और कुछ अन्य लोग आग को बुझाते दिख रहे हैं. ‘व्हाइट हेल्मेट्स’ एक सीरियाई नागरिक सुरक्षा संगठन है, जो विपक्ष के कब्जे वाले क्षेत्रों में सक्रिय है. ब्रिटेन स्थित ‘सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स’ (एक युद्ध निगरानी संगठन) ने हमले में छह लोगों के मारे जाने की पुष्टि की और बताया कि मृतकों में दो बच्चे भी शामिल हैं, जबकि 30 अन्य लोग घायल हो गए हैं.
इराक और सीरिया के एक तिहाई हिस्से पर कब्जा करने वाले इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई में सीरियाई कुर्द लड़ाकों की मदद 2014 से अमेरिका के नेतृत्व वाला गठबंधन कर रहा है. सीरिया में बीते कई साल से हिंसा जारी है. हाल ही में भारत ने भी संयुक्त राष्ट्र में कहा था कि आईएसआईएल के सीरिया में सक्रिय रहने और युद्धक क्षमताओं को फिर से मजबूत करने की कोशिशों के बीच रासायनिक हथियारों के उपयोग के आरोपों पर अत्यधिक ध्यान देने की आवश्यकता है. भारत ने वैश्विक एजेंसी को आतंकवादी संगठनों और व्यक्तियों की रासायनिक हथियारों तक पहुंच की संभावना के प्रति आगाह किया था.