ताइवान ने चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग को दिया करारा जवाब, कहा- तुम्हारे सामने हम झुकेंगे नहीं

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ताइवान को चीन में मिलाने की कसम खाने वाले ड्रैगन को करारा जवाब मिला है। चीनी राष्ट्रपति के बयान का मुंहतोड़ जवाब देते हुए ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने रविवार को कहा कि ताइवान बीजिंग के किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकेगा और अपने लोकतांत्रिक जीवन की रक्षा करेगा। बता दें कि ताइवान और चीन के पुन: एकीकरण की जोरदार वकालत करते हुए चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने शनिवार को कहा था कि ‘ताइवान प्रश्न’ का मुद्दा सुलझाया जाएगा और उसे फिर से चीन में मिलाया जाएगा।

ताइवान के राष्ट्रीय दिवस के मौके पर राष्ट्रपति ने एक भाषण में कहा कि हम जितना अधिक हासिल करते हैं, चीन से उतना ही अधिक दबाव का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि कोई भी ताइवान को चीन के बनाए रास्‍ते पर चलने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। उन्होंने ताइवान को “लोकतंत्र की रक्षा की पहली पंक्ति पर खड़ा” बताया। ताइवान की राष्ट्रपति का बयान ऐसे वक्त में आया है, जब चीन की ओर से लगातार हवाई घुसपैठ की हिमाकत हो रही है और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताइवान के एकीकरण की वकालत की है।

उन्होंने कहा कि हम (बीजिंग के साथ) संबंधों को ठीक करने की उम्मीद करते हैं और हम कोई भी काम जल्दबाजी में नहीं करेंगे। मगर उन्होंने चीन को ललकारते हुए कहा कि इसमें कोई भ्रम नहीं होना चाहिए कि ताइवान के लोग दबाव के आगे झुकेंगे। दरअसल, स्व-शासित ताइवान के 23 मिलियन लोग चीन द्वारा आक्रमण के निरंतर खतरे में रहते हैं। चीन ताइवान को अपने क्षेत्र के रूप में देखता है और उसने कमस खाई है कि अगर जरूरत पड़ी तो वह एक दिन इसे बलपूर्वक अपने में मिला लेगा। ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ताइवान की स्वतंत्रता की समर्थक हैं।

1949 में चीन से अलग हो गया था
ताइवान और चीन 1949 में गृह युद्ध के बीच उस समय अलग हो गए थे जब माओ जेदोंग के नेतृत्व में देश के मुख्य हिस्से पर साम्यवादियों (कम्युनिस्ट) की सत्ता में आने के बाद सत्तारूढ़ नेशनलिस्ट पार्टी के लोग भागकर इस द्वीप पर चले गए थे। इसके बाद से ताइवान में स्वशासन है और चीन ने इसे वैधता प्रदान करने से इनकार कर दिया।

चीनी राष्ट्रपति ने क्या कहकर आग में घी डाला था
शी जिनपिंग ने शनिवार को कहा था कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शनिवार को कहा कि ताइवान के साथ पुन:एकीकरण निश्चत तौर पर होगा, लेकिन यह शांतिपूर्ण तरीके से होगा। हालांकि, इससे पहले चीन ने द्वीप पर हमला करने की धमकी दी थी। ताइवान के मुद्दे पर किसी भी तरह के विदेशी हस्तक्षेप’ को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चीन की बढ़ती आक्रमता के मद्देनजर अमेरिका और जापान ताइवान के प्रति अपना समर्थन बढ़ा रहे हैं जिसकी पृष्ठभमि में चीन की यह टिप्पणी आई है।

ताइवान में युद्धव विमानों की घुसपैठ
शी की यह टिप्पणी चीन द्वारा लगातार चौथे दिन ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में बड़ी संख्या में युद्धक विमान भेजे जाने के बाद आई है। ताइवान खुद को एक संप्रभु राष्ट्र मानता है लेकिन चीन इसे एक अलग प्रांत के रूप में देखता है। चीन ने एकीकरण के लिए ताकत का इस्तेमाल करने की संभावना से इनकार नहीं किया है। शी ने देश के साम्राज्यवादी वंश को खत्म करने वाली क्रांति की 110वीं वर्षगांठ के मौके पर यहां के ग्रेट हॉल में कहा कि चीन के एकीकरण के रास्ते में ‘ताइवन स्वतंत्रता’ बल मुख्य बाधक है। वह (शी) चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के महासचिव भी हैं ।

उन्होंने कहा कि ताइवान का प्रश्न चीनी राष्ट्र की कमजोरी और अराजक स्थिति की वजह से पैदा हुआ और इसे सुलझाया जाएगा ताकि एकीकरण वास्तविकता बन सके। शी ने कहा, ‘यह चीनी इतिहास की सामान्य प्रवृत्ति से निर्धारित होता है, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सभी चीनियों की सामान्य इच्छा है।’ वर्ष 1911 में डॉ सन यात सेन के नेतृत्व में हुई चीनी क्रांति ने 2,132 साल के साम्राज्यवादी शासन और 276 वर्ष के मानचू शासन को खत्म कर दिया था और 1949 में पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना हुई।

10 अक्टूबर का ताइवान का राष्ट्रीय दिवस
वहीं 10 अक्टूबर को ताइवान में राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। चीन और ताइवान के शासन पद्धति में भी अंतर है। चीन में एक दलीय शासन प्रणाली है जबकि ताइवान में बहुदलीय लोकतंत्र है। शी 2012 में देश के राष्ट्रपति बने व चीन का कायाकल्प किया तथा चीन के मुख्य हिस्से में ताइवान को जोड़ना उनके मुख्य लक्ष्यों में से एक है। पिछले सप्ताह ताइवान के वायु रक्षा पहचान क्षेत्र (एडीआईजेड) में 150 युद्ध विमान घुस गए थे, जिसको लेकर अमेरिका ने गहरी चिंता व्यक्त की।