नेपाल: सुप्रीम कोर्ट में विपक्षी दलों की याचिका- फिर बहाल हो संसद, देउबा को बनाया जाए पीएम

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नेपाल में विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर कर राष्ट्रपति बिद्यादेवी भंडारी द्वारा प्रतिनिधि सभा भंग करने के फैसले को ‘असांविधानिक’ बताया है। खास बात यह कि जिन 146 सांसदों ने हस्ताक्षर के साथ अदालत का दरवाजा खटखटाया है उनमें प्रतिद्वंद्वी व पीएम रहे केपी शर्मा ओली गुट के 26 समर्थक भी शामिल हैं। विपक्षी दलों ने शेरबहादुर देउबा के नेतृत्व में सरकार बनाने का दावा भी पेश किया।

विपक्षी गठबंधन दलों ने सर्वोच्च अदालत में संसद को एक बार फिर बहाल कर देउबा को संविधान के अनुच्छेत 76 (5) के अनुसार कानून सम्मत ढंग से देश का प्रधानमंत्री बनाने की मांग रखी। याचिका में ओली की पार्टी के जिन सदस्यों ने दस्तखत किए हैं उनमें माधव कुमार नेपाल, झालानाथ खनाल, भीम रावल, घनश्याम भुसाल, सुरेन्द्र पांडे और राम कुमार झांखरी जैसे प्रमुख नेता शामिल हैं।

याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रपति को 149 सांसदों के दस्तखत वाला पत्र देने के बाद भी जिस तरह से संसद भंग कर नवंबर में चुनाव का एलान किया गया वह पूरी तरह असांविधानिक और नेपाल के संसदीय इतिहास की पहली घटना है। बता दें कि राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सिफारिशों पर सदन को भंग कर दिया था। ओली की सरकार सदन में विश्वास मत हारने के बाद अल्पमत में आ गई थी। 

पार्टी में विद्रोह देखकर ओली-भंडारी ने लिया फैसला
शेरबहादुर देउबा को प्रधानमंत्री बनाने की मुहिम में ओली के 26 समर्थक नेताओं ने खुलकर उन्हें समर्थन दिया है। विपक्ष ने कहा, ऐसे में ओली के खिलाफ हुई गोलबंदी को देखते हुए पार्टी में विद्रोह की स्थिति पैदा हो गई। इसे देखकर ओली और भंडारी ने दो दिन पूर्व अचानक तमाम सांविधानिक मर्यादाओं को ताक पर रखकर संसद को भंग करने का फैसला ले लिया।

ओली के इशारे पर चल रही राष्ट्रपति, कोर्ट में रखीं मांगें
विपक्षी दलों ने कहा, इस वक्त नेपाल कोविड-19 की दूसरी खतरनाक लहर से जूझ रहा है। ऐसे में ओली मनमानी कर रहे हैं और उनके इशारे पर राष्ट्रपति भंडारी चल रही हैं। विपक्षी दलों के नेताओं ने नवंबर में चुनाव कराने की घोषणा को रद्द करने, महामारी में चुनाव कार्यक्रम रोकने व संविधान के प्रावधान के अनुरूप बजट प्रस्तुत करने के लिहाज से सदन की बैठक बुलाने के लिए आदेश जारी करने की मांगें भी की हैं। 

तत्काल हस्तक्षेप करे सर्वोच्च न्यायालय : देउबा
नेपाली कांग्रेस के नेता देउबा का कहना है कि इस वक्त नेपाल को राजनीतिक अस्थिरता नहीं बल्कि एक संवेदनशील सरकार चाहिए। उनका कहना है कि इस समय पहली प्राथमिकता लोगों को कोविड के खतरनाक दौर से उबारना है, वैक्सीन उपलब्ध कराना है और स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराना है। उन्होंने कहा, देश नवंबर तक इस असमंजस की स्थिति में बगैर सरकार के नहीं रह सकता। इसलिए सुप्रीम कोर्ट को देशहित में तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए।