रण ऑफ कच्छ के पास घुसपैठ पाकिस्तान से 12-13 लोगों ने घुसने की काेशिश की

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गुजरात-राजस्थान बॉर्डर पर रण ऑफ कच्छ से लगती सीमा। रात के करीब 12.40 बजे थे। सामने बॉर्डर पार कुछ हलचल हुई। पैट्रोलिंग कर रहे जवानाें ने सभी साथियों, अधिकारियों और ऊंचे टावरों पर तैनात जवानों को सूचना दी। दूर से अंधेरे में समझ नहीं आ रहा था कि जंगली जानवर हैं या इंसान। लेकिन, बॉर्डर के नजदीक आते ही हम समझ गए कि कुछ लोग भारतीय सीमा की तरफ बढ़ रहे हैं।

हमारी सीमा पर तारबंदी के साथ बड़ी लाइट्स लगी हैं। इसलिए नजदीक आते ही इनकी संख्या का अंदाजा हो गया। 12-13 लोग थे। हम तब तक चुप रहे, जब तक यह तय नहीं हो गया कि इनका इरादा हमारी सीमा में घुसपैठ का है। एक संभावना यह भी थी, पाकिस्तानी रेंजर्स पैट्रोलिंग पर हों। लेकिन, जैसे ही वे करीब आए, यह गलतफहमी दूर हो गई।

हमने भारतीय सीमा से दूर रहने की चेतावनी दी, वो सकपकाए जरूर, लेकिन रुके नहीं। झाड़ियों की आड़ लेकर आगे बढ़ते रहे। तीन-चार बार चेतावनी दी गई। तभी उनमें से एक व्यक्ति तेजी से भागकर हमारी सीमा के पिलर को पारकर अंदर आ गया और एक झाड़ी के पीछे छिप गया। सतर्क बीएसएफ जवानों ने उस व्यक्ति की दिशा में तुरंत फायरिंग की।

इसी दौरान उस व्यक्ति के पीछे के लोग वापस पाकिस्तान की तरफ भाग खड़े हुए। हमें अंदाजा था कि फायरिंग बिल्कुल सटीक दिशा में हुई है। हम कुछ घंटों तक खामोश रहे, उस झाड़ी पर नजर रखी, लेकिन कोई हलचल न देख पास गए तो वह व्यक्ति मर चुका था।

एक बीएसएफ अधिकारी ने बताया कि पश्चिमी सीमा पर इतने बड़े पैमाने पर घुसपैठ की कोशिश पहली बार हुई है। हमें अंदाजा है कि यह लोग नकली नोट और ड्रग्स लाने के प्रयास में थे। क्योंकि हाल में बाड़मेर के पास भी नोटों की बड़ी खेप पकड़ी जा चुकी है। पश्चिमी सीमा से आतंकवाद के लिए घुसपैठ की संभावना भी बहुत कम है, क्योंकि इस सीमा से दूर-दूर तक बस्ती नहीं है।

पाक सेना ने पहले मना किया, फिर लिया शव
शनिवार सुबह बीएसएफ ने पाकिस्तानी रेंजर्स के साथ बातचीत में घुसपैठ पर आपत्ति जताई। लेकिन, उन्होंने यह मानने से ही इनकार कर दिया। उसके बाद बीएसएफ अधिकारी रेंजर्स को मौके पर ले गए और घुसपैठ से बने पैरों के निशान दिखाए। इसके बावजूद पाकिस्तानी सेना ने शव लेने से इनकार कर दिया। देर शाम उन्होंने शव लिया।